तेरे नाम यह पैगा़म है सगी़र की ग़ज़ल।
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तेरे नाम यह पैगा़म है सगी़र की ग़ज़ल।
दिल पर तुम्हारा नाम है सगी़र की ग़ज़ल।
❤️
दिल से कुबूल कीजिए तोहफा ये प्यार का।
तेरे लिए सलाम है सगी़र की ग़ज़ल।
❤️
छोड़कर जाने की जरूरत नहीं कहीं ।
कायम तू ही मकाम है सगी़र की ग़ज़ल।
❤️
पढ़कर ग़ज़ल तुम्हारी मुझे चैन आ गया।
तेरे लिए ईनाम है सगी़र की ग़ज़ल।
❤️
अब ना भटकने दूंगा तुझे मेरे पास आ।
दिल में तेरा मकान है सगी़र की ग़ज़ल।
❤️❤️❤️❤️❤️❤️
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी