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3 May 2020 · 1 min read

कविता

एक और एक दो के बजाय ग्यारा हो जाए
आदमी का आदमी फिर से सहारा हो जाए

इंसान को रोजगार और प्रेम ही तो चाहिए
विकसित देशों की तरह देश हमारा हो जाए

अब से भी ना प्रकृति को इतना छेड़िए
फिर देखिए पहले की तरह नज़ारा हो जाए

दूसरे का बुरा चाहने वाले का खुदा बख्शता नहीं
बड़ी कोठियों वाला भी हालत से बंजारा हो जाए

चीन ने तबाही मचाई जहां में” नूरी”कोरोना से
हमेशा रहता डर कब कौन खुदा को प्यारा हो जाए

नूरफातिमा खातून” नूरी”

‌‌‌‌‌‌ 3/5/2020

4 Likes · 1 Comment · 300 Views

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