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7 Jun 2016 · 1 min read

ग़ज़ल :– सारे शहर में जुल्म है आक्रोश है !!

गज़ल –: सारे शहर में जुल्म है आक्रोश है !!

ग़ज़लकार –: अनुज तिवारी “इंदवार”

☀☀ग़ज़ल☀☀
हर शहर में ज़ुल्म है आक्रोश है
मेरे दिल तू किसलिये खामोश है।

ज़ुल्म सहना भी तो यारों ज़ुल्म है
कौन कहता है कि तू निर्दोष है।

बस्तियां सारी शहर की जल रहीं
छुप रहा अब तू जहां खरगोश है।

उनको सोना-चांदी खाने दीजिये
हमको रोटी-दाल में सन्तोष है।

हर तरफ अंधेर है यूँ लग रहा
बेईमान का चारो तरफ़ जयघोष है।

कवि—-अनुज तिवारी “इंदवार”

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