खुशबू बनके हर दिशा बिखर जाना है
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क्या पता कौन दिशा में किसे जाना है
किसी को इधर किसी को उधर जाना है
तुम सूरज नहीं हो और हम चँदा नहीं
कौन देखे दिशा हमको किधर जाना है
जिंदगी के सफर में दिशा नहीं देखते
कभी रूकना नहीं चाहे जिधर जाना है
कोई नहीं चल सका है वक्त के साथ
रूक गई सांस तो फिर ठहर जाना है
सुनो ‘विनोद’ हमें दिशा मिले ना मिले
खुशबू बनके हर दिशा बिखर जाना है