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21 Mar 2023 · 1 min read

“ख़्वाहिशें उतनी सी कीजे जो मुक़म्मल हो सकें।

“ख़्वाहिशें उतनी सी कीजे जो मुक़म्मल हो सकें।
आसमां की चाह रख कर भी ज़मीनें मांगिए।।”

☺प्रणय प्रभात☺

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