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19 Jan 2023 · 1 min read

*कौवा( हिंदी गजल/गीतिका )*

*कौवा( हिंदी गजल/गीतिका )*
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
(1)
इसे कहते हैं सच्चा हौसला, दिखला गया कौवा
गजल-प्रतियोगिता में देखो, गाने आ गया कौवा
(2)
हुई प्रतियोगिता सौंदर्य की, सद्भाग्य तो देखो
प्रथम ईनाम, सब पशु-पक्षियों में पा गया कौवा
(3)
दिवंगत आत्माओं को, नमन करने का अवसर था
प्रतीकों में ढला, तो हर जगह पर छा गया कौवा
(4)
कभी दो-चार दिन कोयल, कबूतर-तोता दिखते हैं
हमेशा मित्रता में नाम को लिखवा गया कौवा
(5)
बचा जो दे दिया हमने, कभी रोटी-डबलरोटी
बड़ी आत्मीयता से उसको, आकर खा गया कौवा
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””
रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997 61 5451

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