बगैर पैमाने के
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कौन से लफ्ज में तारीफ करूं मैं उनकी,
शायरी खुद ही बन जाती है आ जाने से।
उनकी मौजूदगी ही खुमार है मैकदा है सृजन,
मैं तो मदहोश हो जाता बगैर पैमाने के।
सतीश सृजन
कौन से लफ्ज में तारीफ करूं मैं उनकी,
शायरी खुद ही बन जाती है आ जाने से।
उनकी मौजूदगी ही खुमार है मैकदा है सृजन,
मैं तो मदहोश हो जाता बगैर पैमाने के।
सतीश सृजन