*कुछ पुरातन और थोड़ा, आधुनिक गठजोड़ है (हिंदी गजल)*
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कुछ पुरातन और थोड़ा, आधुनिक गठजोड़ है (हिंदी गजल)
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1)
कुछ पुरातन और थोड़ा, आधुनिक गठजोड़ है
हर कदम पर आजकल कुछ, अटपटा ही मोड़ है
2)
यह दिखावे की प्रथाऍं, आत्मघाती जानिए
पार्टियॉं होटल में करना, इस समय की होड़ है
3)
शत्रुओं के वार से तो, आप बच भी जाइए
मित्र के षड्यंत्र का पर, कब कहॉं कुछ तोड़ है
4)
एक दिन चिंता का दौरा, पड़ गया उस व्यक्ति को
सब जग समझता था जिसे, व्यक्ति एक हॅंसोड़ है
5)
कर्म के फल की कभी भी, चाहना करना नहीं
संसार के सब ज्ञान का, एकमात्र निचोड़ है
6)
एक पग पीछे हटाना, जानिए चातुर्य-मति
युद्ध को जीता उसी ने, जो बना रणछोड़ है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451