कुछ कह ले दिल
कुछ कह ले दिल ….
सागर से गहरे दिल ,फिर भी न बहले दिल
कभी तो दिल से दिल की बात कहले दिल।।
समुन्दर सा लगता शांत तू ,अपना भी लगे
रूठ न जाये कभी यह सोचकर दहले दिल।।
ए दिल इश्क़ की राह चलना नही है आसां
न यूँ सिसकियाँ भर, कुछ गम सहले दिल।।
सूरत शक्ल चेहरा देखते तो है सभी मगर
कुछ होते हटकर जो देखते है पहले दिल।।
चंचल मन बहता निर्मल बनकर दरिया सा
भटकना छोड़ किसी को होकर रहले दिल ।।
,”दिनेश”