किसने तेरा साथ दिया है

(शेर)- ये देख रहे हैं इसलिए कि, तोहफा इनको क्या मिलेगा।
कैसे बुझायेंगे प्यास अपनी,जाम इनको कब मिलेगा।।
और मचायेंगे धूम जब मैं, लुटाऊंगा इन पर अपनी दौलत।
ये हो जायेंगे सब गुमनाम, गर्दिश में जब मेरा जीवन मिलेगा।।
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किसने तेरा साथ दिया है, किसने तुमको माना अपना।
जिसको तुमने माना अपना, उसने तुमको माना खिलौना।।
किसने तेरा साथ दिया है———————।।
देखकर तू जो सूरत, दीवाना जिसका ऐसे हुआ है।
क्या खुशी उससे मिली, आबाद क्या उससे हुआ है।।
ताज्जुब है उसी ने काँटों में, सजाया है तुम्हारा बिछौना।
जिसको तुमने माना अपना, उसने तुमको माना खिलौना।।
किसने तेरा साथ दिया है——————।।
मानकर जिसको अपना चमन, खून से सींचा है तुमने।
किया उसी ने खून तुम्हारा, लूटा तुम्हारा चैन उसी ने।।
किया अंधेरा फिर उसी ने, दीपक जिसको तुमने माना।
जिसको तुमने माना अपना, उसने तुमको माना खिलौना।।
किसने तेरा साथ दिया है———————।।
जिसको तू कहता है दोस्त, अपनी जान अपनी खुशी।
दौलत का वह है भूखा, और नकली है उसकी हंसी।।
उसके लिए फिर तू , मिटा रहा है वजूद यह अपना।
जिसको तुमने माना अपना, उसने तुमको माना अपना।।
किसने तेरा साथ दिया है———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)