Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Mar 2017 · 1 min read

काश! पुनः लौटें दिन…

चिट्ठियाँ नहीं आतीं अब
अपनों की
आते हैं कॉल
औपचारिकता निभाने
जबकि चिट्ठियाँ सिर्फ़
सम्बन्ध निभाने का जरिया नहीं
अपितु परिचायक होती थीं कि
लिखी गयीं वह
भीतर से उठने वाली हूक़ के सहारे
प्रेम को परिभाषित करने
काश! पुनः लौटें वह दिन
*सतीश तिवारी ‘सरस’,नरसिंहपुर (म.प्र.)

Language: Hindi
Tag: कविता
295 Views

Books from सतीश तिवारी 'सरस'

You may also like:
💐प्रेम कौतुक-376💐
💐प्रेम कौतुक-376💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मेनाद
मेनाद
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आत्महीनता एक अभिशाप
आत्महीनता एक अभिशाप
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
खुद का साथ
खुद का साथ
Shakuntla Shaku
विसर्जन गीत
विसर्जन गीत
Shiva Awasthi
बुद्ध ही बुद्ध
बुद्ध ही बुद्ध
Shekhar Chandra Mitra
*पारखी नजरों में जब, आतीं पुरानी पुस्तकें (हिंदी गजल/ गीतिका
*पारखी नजरों में जब, आतीं पुरानी पुस्तकें (हिंदी गजल/ गीतिका
Ravi Prakash
बाँध लू तुम्हें......
बाँध लू तुम्हें......
Dr Manju Saini
किस किस को वोट दूं।
किस किस को वोट दूं।
Dushyant Kumar
ज़ब्त को जब भी
ज़ब्त को जब भी
Dr fauzia Naseem shad
तुम्हारे भाव जरूर बड़े हुए है जनाब,
तुम्हारे भाव जरूर बड़े हुए है जनाब,
Umender kumar
देर
देर
पीयूष धामी
आरंभ
आरंभ
श्री रमण 'श्रीपद्'
तेरे हुस्न के होगें लाखों दिवानें , हम तो तेरे दिवानों के का
तेरे हुस्न के होगें लाखों दिवानें , हम तो तेरे...
Sonu sugandh
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जिंदगी क्या है?
जिंदगी क्या है?
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
युवा शक्ति
युवा शक्ति
Kavita Chouhan
बालगीत - सर्दी आई
बालगीत - सर्दी आई
Kanchan Khanna
संस्कार - कहानी
संस्कार - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रक्तरंजन से रणभूमि नहीं, मनभूमि यहां थर्राती है, विषाक्त शब्दों के तीरों से, जब आत्मा छलनी की जाती है।
रक्तरंजन से रणभूमि नहीं, मनभूमि यहां थर्राती है, विषाक्त शब्दों...
Manisha Manjari
चलो चलो तुम अयोध्या चलो
चलो चलो तुम अयोध्या चलो
gurudeenverma198
मेरे हमदम मेरे दिलबर मेरे हमराज हो तुम। मेरे दिल को जो भाता है वही आवाज हो तुम। दिलों के तार जुड़ते हैं नए झंकार करते हैं। तुम्ही मौसीकी मेरी हो ,गीतों की साज हो तुम।
मेरे हमदम मेरे दिलबर मेरे हमराज हो तुम। मेरे दिल...
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
पिता
पिता
Mukesh Jeevanand
मुझे क्या पता था ?
मुझे क्या पता था ?
Taj Mohammad
कौन लोग थे
कौन लोग थे
Surinder blackpen
■ आज का दोहा
■ आज का दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
जिंदगी में किसी से अपनी तुलना मत करो
जिंदगी में किसी से अपनी तुलना मत करो
Swati
ज़ख्म शायरी
ज़ख्म शायरी
मनोज कर्ण
✍️रूह के एहसास...
✍️रूह के एहसास...
'अशांत' शेखर
“ अभिव्यक्ति क स्वतंत्रता केँ पूर्वाग्रसित सँ अलंकृत जुनि करू ”
“ अभिव्यक्ति क स्वतंत्रता केँ पूर्वाग्रसित सँ अलंकृत जुनि करू...
DrLakshman Jha Parimal
Loading...