कहनी चाही कभी जो दिल की बात…
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कहनी चाही कभी जो दिल की बात,
कभी भी हम कह न सके,
करनी चाही जो तुमसे मुलाकात,
कभी भी हम कर न सके…
तेरी यादों में हरपल तड़पते रहे,
आहें भर-भर के करवट बदलते रहे,
यूं ही बीत गई सारी-सारी रात,
कभी भी हम सो न सके,
कहनी चाही कभी जो दिल की बात,
कभी भी हम कह न सके…
काहे बेदर्दी मुझसे जुदा हो गया,
मेरी आंखों से निंदिया चुरा ले गया,
ग़म की मिलने लगी रे सौगात,
कभी भी खुश रह न सके,
कहनी चाही कभी जो दिल की बात,
कभी भी हम कह न सके…
सारा जीवन में तुझपे ही ‘अर्पन’ करूं,
‘आठों यामों’ में तेरी ही ‘पूजा’ करूं,
अश्क झिलमिल करें रे दिन-रात,
कभी भी हम हंस ना सके,
कहनी चाही कभी जो दिल की बात,
कभी भी हम कह न सके…
-✍️ सुनील सुमन