कहते हैं कि मृत्यु चुपचाप आती है। बेख़बर। वह चुपके से आती है
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कहते हैं कि मृत्यु चुपचाप आती है। बेख़बर। वह चुपके से आती है और अपनी आगोश में समा लेती है।
डॉ तबस्सुम जहां
कहानी अंश- “मौत बे आवाज़ आती है”
कहते हैं कि मृत्यु चुपचाप आती है। बेख़बर। वह चुपके से आती है और अपनी आगोश में समा लेती है।
डॉ तबस्सुम जहां
कहानी अंश- “मौत बे आवाज़ आती है”