कभी कम नहीं हो यह नूर

कभी कम नहीं हो यह नूर तेरा।
किसी की नजर नहीं तुमको लगे।।
आबाद चमन तेरा रहे हमेशा।
नाखुश कभी तू नहीं हमको लगे।।
कभी कम नहीं हो——————-।।
करना नहीं तू कभी कोई गम।
ना तू कभी यह सोचना।।
बेगाना हमको और अजनबी।
हमको कभी नहीं मानना।।
रोशन रहे तेरा चेहरा हमेशा।
मुस्कराता हरदम यह हमको लगे।।
कभी कम नहीं हो———————-।।
नहीं हारना तू हिम्मत कभी।
हो चाहे कल को कैसी भी मुसीबत।।
रहता कभी नहीं समय एक सा।
मिलती है एक दिन खुशी और इज्जत।।
धूप छांव का खेल है जिंदगी।
आंखों में ख्वाब जिंदा हमको लगे।।
कभी कम नहीं हो————————।।
मेरी आँखों का तू ही नूर है।
बिन तेरे घर में नहीं रोशनी।।
मुस्कान तू है मेरे होंठों की।
तेरे बिन नहीं मोहब्बत सुहानी।।
बर्बाद हो तेरे दुश्मन सभी।
सलामत हमेशा तू हमको लगे।।
कभी कम नहीं हो————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)