ओझल तारे हो रहे, अभी हो रही भोर।
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ओझल तारे हो रहे, अभी हो रही भोर।
शिथिल यामिनी हो रही, देखो चारों ओर।
ऊषा लेकर आ रही, स्वर्ण रश्मि की थाल।
होगा आभामय अभी, प्राची का शुभ छोर।
~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०१/१२/२०२३
ओझल तारे हो रहे, अभी हो रही भोर।
शिथिल यामिनी हो रही, देखो चारों ओर।
ऊषा लेकर आ रही, स्वर्ण रश्मि की थाल।
होगा आभामय अभी, प्राची का शुभ छोर।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०१/१२/२०२३