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26 Feb 2024 · 1 min read

“एक ही जीवन में

“एक ही जीवन में

हर बार,पूरा होते-होते,रह जाना ‘अधूरा ही’
शायद, यही नियति है जीवन की !!
और..हर बार,उसी अधूरेपन से,होती है ‘शुरुआत’ नई
यही तो जीवन है !!
इसी तरह, हर बार,हर नई शुरुआत,जन्मती है
नई-नईआशाएं ,शायद इसीलिए मिल जाते हैं
एक ही जीवन में
जीवन कई-कई !!”

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