Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jan 2023 · 2 min read

एक लड़का

एक लड़का अघोरी सी आँखें लिए
स्वप्न के निर्जनों में भटकता रहा।
फेरता जीभ चटखे हुए होंठ पर
गाल के कुंतलों से उलझता रहा।

मैं सुबह की किरण सो लगी पूछने यूँ भटकते हुए तुम कहाँ जा रहे ?
इस तरफ तो कोई गाँव बस्ती नहीं, फिर वहाँ कौन है तुम जहाँ जा रहे ?
सौम्य मुख ये बताओ कहीं भूल से, राह विस्मृत तुम्हें तो नहीं हो गई,
इस तरह क्यों हिरण से मुझे ताकते, क्या नयन ज्योति ही तो नहीं खो गई ?

थे अबोले अधर ही नहीं, “नैन भी”
ये अडिग मौन मुझको खटकता रहा।
एक लड़का अघोरी सी आँखें लिए
स्वप्न के निर्जनों में भटकता रहा।

दिन चढ़ा सूर्य का ताप बढ़ने लगा, गेहूएँ भाल की त्योरियां चढ़ गईं।
श्रांत मुख से टपकती हुईं बूँद से उस शिला वक्ष की उर्मियाँ बढ़ गईं।
यूँ लगा देह की भीतरी खोह में, मौन ही स्वाँस का होम करने लगा।
अधखुले होंठ से व्योमगामी धुआँ, स्रोत पर जामुनी रंग भरने लगा।

आप ही में रमा इक तपस्वी, सभी
रूपहीनाओं के मन अखरता रहा।
एक लड़का अघोरी सी आँखें लिए
स्वप्न के निर्जनों में भटकता रहा।

पथ के अभ्यस्त से जान पड़ते कदम, झील में नाव ज्यों, त्यों ही चलते गए।
सूर्य भी ले विदा, श्रमरती देह पर, एक सुर्खी भरा लेप मलते गए।
चाँदनी पेड़ की डालियों में छुपी, संकुचित हो युवातन निरखने लगी।
उस के आँखों की कोरो से न जाने क्यों एक बदली अचानक बरसने लगी।

जैसे जीवन हो सुधियों की कोई नदी,
और मन जो भँवर में उतरता रहा।
एक लड़का अघोरी सी आँखें लिए
स्वप्न के निर्जनों में भटकता रहा।
© शिवा अवस्थी

3 Likes · 60 Views
You may also like:
बरगद का दरख़्त है तू
बरगद का दरख़्त है तू
Satish Srijan
वो आए थे।
वो आए थे।
Taj Mohammad
Writing Challenge- धूप (Sunshine)
Writing Challenge- धूप (Sunshine)
Sahityapedia
है सुकूँ  से भरा  एक  घर  ज़िन्दगी
है सुकूँ से भरा एक घर ज़िन्दगी
Dr Archana Gupta
भारत के बीर सपूत
भारत के बीर सपूत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
“ अकर्मण्यताक नागड़ि ”
“ अकर्मण्यताक नागड़ि ”
DrLakshman Jha Parimal
हादसो का बस
हादसो का बस
Dr fauzia Naseem shad
वो इश्क जो कभी किसी ने न किया होगा
वो इश्क जो कभी किसी ने न किया होगा
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
"आधुनिकता का परछावा"
MSW Sunil SainiCENA
बहकने दीजिए
बहकने दीजिए
surenderpal vaidya
आँखों की बरसात
आँखों की बरसात
Dr. Sunita Singh
कुटिल  (कुंडलिया)
कुटिल (कुंडलिया)
Ravi Prakash
न गिराओ हवाओं मुझे , औकाद में रहो
न गिराओ हवाओं मुझे , औकाद में रहो
कवि दीपक बवेजा
जीवन रंगों से रंगा रहे
जीवन रंगों से रंगा रहे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
💐प्रेम कौतुक-330💐
💐प्रेम कौतुक-330💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हर युग में जय जय कार
हर युग में जय जय कार
जगदीश लववंशी
#justareminderekabodhbalak
#justareminderekabodhbalak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बचपन
बचपन
मनोज कर्ण
हिकायत से लिखी अब तख्तियां अच्छी नहीं लगती
हिकायत से लिखी अब तख्तियां अच्छी नहीं लगती
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
हे! राम
हे! राम
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
श्रद्धा के सुमन ले के आया तेरे चरणों में
श्रद्धा के सुमन ले के आया तेरे चरणों में
Prabhu Nath Chaturvedi
देशज से परहेज
देशज से परहेज
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कुछ अलग लिखते हैं। ।।।
कुछ अलग लिखते हैं। ।।।
Tarang Shukla
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀🍀🌺🍀🌺🍀
🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀🌺🍀🍀🌺🍀🌺🍀
subhash Rahat Barelvi
सच्चा आनंद
सच्चा आनंद
दशरथ रांकावत 'शक्ति'
2229.
2229.
Khedu Bharti "Satyesh"
"आत्म-मन्थन"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
■ तजुर्बा बोलता है...
■ तजुर्बा बोलता है...
*Author प्रणय प्रभात*
पैरासाइट
पैरासाइट
Shekhar Chandra Mitra
Loading...