Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Dec 2022 · 1 min read

एक पेड़ का दर्द

धूप सहकर मैं कड़ी, शीतल छांव देता हूं
ठंड वर्षा के थपेड़े, सब झेल लेता हूं
लेता हूं तेरी हर बला, जीवन प्राण देता हूं
देता हूं फल फूल मीठे, छप्पर ‌डाल देता हूं
भोजन में तेरा पकाने, प्राण देता हूं
जीता हूं तेरे लिए, मरता हूं तेरे लिए
तेरी इस जीवन नैया को मनुज, मैं ही चलाता हूं
घर बनाता हूं ,तेरा चूल्हा जलाता हूं
पालना बनता हूं मैं, झूला झुलाता हूं
बनता हूं खटिया पलंग, चैन से मैं सुलाता हूं
बनकर हल बैलगाड़ी, अन्न मैं ही उगाता हूं
जन्म से हूं मरण तक, शव मैं ही जलाता हूं
लगते हैं बरसों बरस, मुझे एक पेड़ बनने में
कितनी बेदर्दी से मुझे, पल में काट देते हो
मैं तो हूं बेजुबान, ये दर्द में किससे कहूं
सदियों से सहता रहा, और कितना मैं सहूं
एक बात सुनलो मेरी, कान अपने खोलकर
अस्तित्व न मेरा मिटाना, जा रहा हूं बोलकर
मेरे बगैर जीवन न होगा, कहता हूं कर जोड़ कर

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

3 Likes · 116 Views

Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी

You may also like:
हो साहित्यिक गूँज का, कुछ  ऐसा आगाज़
हो साहित्यिक गूँज का, कुछ ऐसा आगाज़
Dr Archana Gupta
=*तुम अन्न-दाता हो*=
=*तुम अन्न-दाता हो*=
Prabhudayal Raniwal
पीड़ादायक होता है
पीड़ादायक होता है
अभिषेक पाण्डेय ‘अभि’
💐अज्ञात के प्रति-145💐
💐अज्ञात के प्रति-145💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हक़ीक़त सभी ख़्वाब
हक़ीक़त सभी ख़्वाब
Dr fauzia Naseem shad
मजदूरीन
मजदूरीन
Shekhar Chandra Mitra
हर बार तुम गिरोगे,हर बार हम उठाएंगे ।
हर बार तुम गिरोगे,हर बार हम उठाएंगे ।
Buddha Prakash
जो मेरी जान लेने का इरादा ओढ़ के आएगा
जो मेरी जान लेने का इरादा ओढ़ के आएगा
Harinarayan Tanha
फूलों से।
फूलों से।
Anil Mishra Prahari
आज काल के नेता और उनके बेटा
आज काल के नेता और उनके बेटा
Harsh Richhariya
■ आज का मुक्तक
■ आज का मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
दहन अगर करना ही है तो
दहन अगर करना ही है तो
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*कुछ रंग लगाओ जी, हमारे घर भी आओ जी (गीत)*
*कुछ रंग लगाओ जी, हमारे घर भी आओ जी (गीत)*
Ravi Prakash
अगर मेरी मोहब्बत का
अगर मेरी मोहब्बत का
श्याम सिंह बिष्ट
हां मुझे प्यार हुआ जाता है
हां मुझे प्यार हुआ जाता है
Surinder blackpen
विचार
विचार
सोनम राय
🙋बाबुल के आंगन की चिड़िया🙋
🙋बाबुल के आंगन की चिड़िया🙋
Arise DGRJ (Khaimsingh Saini)
जाने कितने ख़त
जाने कितने ख़त
Ranjana Verma
हूँ   इंसा  एक   मामूली,
हूँ इंसा एक मामूली,
Satish Srijan
आस्तीक भाग -दस
आस्तीक भाग -दस
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
सच वह देखे तो पसीना आ जाए
सच वह देखे तो पसीना आ जाए
कवि दीपक बवेजा
बेघर हुए शहर में तो गांव में आ गए
बेघर हुए शहर में तो गांव में आ गए
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बनारस की गलियों की शाम हो तुम।
बनारस की गलियों की शाम हो तुम।
Gouri tiwari
मैथिली भाषाक मुक्तक / शायरी
मैथिली भाषाक मुक्तक / शायरी
Binit Thakur (विनीत ठाकुर)
बेदम हुए है हम।
बेदम हुए है हम।
Taj Mohammad
मैं आंसू बहाता रहा,
मैं आंसू बहाता रहा,
अनिल अहिरवार"अबीर"
* मनवा क्युं दुखियारा *
* मनवा क्युं दुखियारा *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
असंवेदनशीलता
असंवेदनशीलता
Shyam Sundar Subramanian
और बदल जाता है मूढ़ मेरा
और बदल जाता है मूढ़ मेरा
gurudeenverma198
2225.
2225.
Khedu Bharti "Satyesh"
Loading...