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3 Mar 2017 · 1 min read

उस का ये गुलाब

उठी है आज कलम फिर,
कुछ लिखने का मन चाह रहा है,
आज फिर मुझे उस का,
दामन याद आ रहा है,
दोस्त कहते है भूल जा उस को,
पर कैसे भूल जायु उसे मैं,
उस का ये गुलाब नस्तर चुभा रहा है,
रह रह कर मुझे उन,
यादो को याद दिला रहा है,
उस को भी याद आती होगी हमारी,
इतना थो पक्का है,
माना की कांटे है गुलाब मैं,
पर फूल तो अच्छा है.

Language: Hindi
Tag: कविता
332 Views
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