उसे तो देख के ही दिल मेरा बहकता है।

गज़ल
1212…..1122…..1212…..22/112
उसे तो देख के ही दिल मेरा बहकता है।
करूं क्या मुझपे भी जादू उसी का चलता है।
बिना पिए ही बहक जाऍं सब मुहब्बत में,
हिजाब उसका कभी रुख से जब सरकता है।
हवाएं और फिजाएं नशीली हो जाएं,
हवा में आता हुआ इश्क जब महकता है।
मचल वो जाऍं सभी देखेॅं जो नजर भर के,
मैं भी इंसान हूं ये दिल तो फिर मचलता है।
पता नहीं है किसे चाहती है वो प्रेमी,
ये दिल तो दिल है मगर उस से प्यार करता है।
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी