उसी ने हाल यह किया है

जिससे उम्मीद थी ज्यादा, उसी ने हाल यह किया।
गुनाह करके भी उसने तो, हवाले-कैद मुझे किया।।
जिससे उम्मीद थी ज्यादा—————-।।
दिल का खिलौना मुझको बनाकर, मुझसे खेला बहुत।
पाकर फिर धनवान दोस्त, उसने किनारा मुझसे किया।।
जिससे उम्मीद थी ज्यादा—————-।।
छोड़ दिया था मैंने तो, उसके लिए सच में अपना घर।
महल बनाकर मेरे खूं से, अश्कदान उसने मुझे किया।।
जिससे उम्मीद थी ज्यादा—————।।
मालूम था उसको यह भी, रह नहीं सकता उससे दूर।
मेहन्दी लगाकर हाथों में , जनाजा मेरा विदा किया।।
जिससे उम्मीद थी ज्यादा—————-।।
शौक बहुत था उसको तो, मुझसे नजरें मिलाने का।
कर दिये खाक मेरे अरमान,मुझको बदनाम किया।।
जिससे उम्मीद थी ज्यादा—————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)