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12 Jul 2023 · 1 min read

उसका-मेरा साथ सुहाना….

उसका मेरा साथ सुहाना बरसों से है।
दिल से दिल का मेल सुहाना बरसों से है।

नदिया-सागर जिस छोर मिले औ एक हुए,
नयन – कोर पर बना मुहाना बरसों से है।

कितना गा लूँ फिर भी नव्यता कम न होती,
अधरों पर इक नेह- तराना बरसों से है।

मिट जाते हम कबके रंजो-गम के डर से,
उसकी खातिर जिएँ बहाना बरसों से है।

पलभर गर गुम जाए जान हलक में आए,
दिल में उसका बना ठिकाना बरसों से है।

© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद

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