Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Apr 2017 · 1 min read

* उम्र अगर ढ़लती नहीं *

2.4.17 प्रातः * 11.7

उग्र अगर यूं ढ़लती नहीं

कामनाये यूं छलती नहीं

नज़रें बचाते है यूं उनसे

नजरें कहीं दो-चार नहीं ।।

डर -डर निकलती है उम्र

सर -सर निकलती है उम्र

हर पल लहर लहर चलती

हरक्षण छलती चलती उम्र ।।

जलती है सूखी लकड़िया

नम जिस्म कब जलते है

दिल जलते है धूं-धूं कर

नम दिल से उठता धुंवा ।।

फ़िक्र अब क्यूं है दिल

बेफिक्र हो यूं महफ़िल

अलविदा कह अब दिल

चल अब जहां ओर कहीँ ।।

कर इबादत अपने ख़ुदा की

और पा ले जन्नत जहां की

नज़र उसकी कयामत लाती

नज्र अब उसको जवानी की।।

अब रवानी उसकी रंग लायेगी

पीछे यादें जमाने को रुलायेगी

क्या कहूं जमाना कब हंसेगा

जब वज़ह जमाने को रुलायेगी ।।

?मधुप बैरागी

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
1 Like · 274 Views

Books from भूरचन्द जयपाल

You may also like:
दीवानों की बातें दीवानी, होती है।
दीवानों की बातें दीवानी, होती है।
Taj Mohammad
🌹🌹हर्ट हैकर, हर्ट हैकर,हर्ट हैकर🌹🌹
🌹🌹हर्ट हैकर, हर्ट हैकर,हर्ट हैकर🌹🌹
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बात बोलेंगे
बात बोलेंगे
Dr. Sunita Singh
हिंदी का वर्तमान स्वरूप एवं विकास की संभावना
हिंदी का वर्तमान स्वरूप एवं विकास की संभावना
Shyam Sundar Subramanian
शिव की बनी रहे आप पर छाया
शिव की बनी रहे आप पर छाया
Shubham Pandey (S P)
अपनेपन का मुखौटा
अपनेपन का मुखौटा
Manisha Manjari
✍️ अपने रिश्ते ही कुछ ऐसे है
✍️ अपने रिश्ते ही कुछ ऐसे है
'अशांत' शेखर
मेरी अभिलाषा- उपवन बनना चाहता हूं।
मेरी अभिलाषा- उपवन बनना चाहता हूं।
Rajesh Kumar Arjun
मेरी दादी के नजरिये से छोरियो की जिन्दगी।।
मेरी दादी के नजरिये से छोरियो की जिन्दगी।।
Nav Lekhika
साथ जीने के लिए
साथ जीने के लिए
surenderpal vaidya
*मेघ गोरे हुए साँवरे* पुस्तक की समीक्षा धीरज श्रीवास्तव जी द्वारा
*मेघ गोरे हुए साँवरे* पुस्तक की समीक्षा धीरज श्रीवास्तव जी...
Dr Archana Gupta
तानाशाहों की मौत
तानाशाहों की मौत
Shekhar Chandra Mitra
Writing Challenge- त्याग (Sacrifice)
Writing Challenge- त्याग (Sacrifice)
Sahityapedia
बेबाक
बेबाक
Satish Srijan
*शस्त्रधारी हैं (गीतिका)*
*शस्त्रधारी हैं (गीतिका)*
Ravi Prakash
■ बातों बातों में...
■ बातों बातों में...
*Author प्रणय प्रभात*
मृगतृष्णा
मृगतृष्णा
मनोज कर्ण
कहां तक चलना है,
कहां तक चलना है,
laxmivarma.lv
खूबसूरत बहुत हैं ये रंगीन दुनिया
खूबसूरत बहुत हैं ये रंगीन दुनिया
D.k Math { ਧਨੇਸ਼ }
रिहायी कि इमरती
रिहायी कि इमरती
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मत जहर हवा में घोल रे
मत जहर हवा में घोल रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
निगल रही
निगल रही
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
क्या मैं थी
क्या मैं थी
Surinder blackpen
मेरी मर्ज़ी पे हक़ नहीं मेरा
मेरी मर्ज़ी पे हक़ नहीं मेरा
Dr fauzia Naseem shad
शेर
शेर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
शिकायत है उन्हें
शिकायत है उन्हें
मानक लाल"मनु"
पशु पक्षियों
पशु पक्षियों
Surya Barman
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तीर्थ यात्रा
तीर्थ यात्रा
विशाल शुक्ल
कलयुग : जंग -ए - जमाने
कलयुग : जंग -ए - जमाने
Nishant prakhar
Loading...