उपहास
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उपहास करना
नितांत सहज है,
किसी की
भावनाओं को
आहत करने
और
मानसी आघात के लिए।
कटाक्ष,
क्षणिक तुष्टि का
द्योतक है,
पर
लक्षित के लिए
काल बाण-सा।
कदापि
जाने-अनजाने
किसी विकलांग का,
निरक्षर का,
अशक्त का,
वृद्धजन का,
कुरुप का
परिहास करना,
मानसिक संकीर्णता
का पर्याय है,
अपकर्ष है।