Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jun 2016 · 1 min read

इस दानव को मानव कहलाने दो — कविता

कविता

इस दानव को मानव कहलाने दो

मेरी तृ्ष्णाओ,मेरी स्पर्धाओ,
मुझ से दूर जाओ, अब ना बुलाओ
कर रहा, मन मन्थन चेतना मे क्र्न्दन्
अन्तरात्मा में स्पन्दन
मेरी पीःडा मेरे क्लेश
मेरी चिन्ता,मेरे द्वेश

मेरी आत्मा
, नहीं स्वीकार रही है
बार बार मुझे धिक्कार रही
प्रभु के ग्यान का आलोक
मुझे जगा रहा है
माया का भयानक रूप
नजर आ रहा है
कैसे बनाया तुने
मानव को दानव
अब समझ आ रहा है
जाओ मुझे इस आलोक में
बह जाने दो
इस दानव को मानव कहलाने दो

Language: Hindi
462 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

** दूर कैसे रहेंगे **
** दूर कैसे रहेंगे **
Chunnu Lal Gupta
अनुशासित रहे, खुद पर नियंत्रण रखें ।
अनुशासित रहे, खुद पर नियंत्रण रखें ।
Shubham Pandey (S P)
3097.*पूर्णिका*
3097.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
✍️ दोहा ✍️
✍️ दोहा ✍️
राधेश्याम "रागी"
अज़ीज़-ए-दिल को भी खोना नसीब है मेरा
अज़ीज़-ए-दिल को भी खोना नसीब है मेरा
आकाश महेशपुरी
"विस्मृति"
Dr. Kishan tandon kranti
जिन्दगी एक दौड
जिन्दगी एक दौड
Ashwini sharma
भीष्म वध
भीष्म वध
Jalaj Dwivedi
भारत के लाल को भारत रत्न
भारत के लाल को भारत रत्न
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक arun atript
Dr Arun Kumar shastri एक अबोध बालक arun atript
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्रेम की भाषा
प्रेम की भाषा
Kanchan Alok Malu
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
*ठगने वाले रोजाना ही, कुछ तरकीब चलाते हैं (हिंदी गजल)*
*ठगने वाले रोजाना ही, कुछ तरकीब चलाते हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
🙅मीटिंग/चीटिंग🙅
🙅मीटिंग/चीटिंग🙅
*प्रणय*
हाँ, यह सपना मैं
हाँ, यह सपना मैं
gurudeenverma198
उम्मीदों का सूरज ढलने लगा है
उम्मीदों का सूरज ढलने लगा है
पूर्वार्थ
चीत्रोड़ बुला संकरी, आप चरण री ओट।
चीत्रोड़ बुला संकरी, आप चरण री ओट।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
आगाज़
आगाज़
Vivek saswat Shukla
जहरीले और चाटुकार  ख़बर नवीस
जहरीले और चाटुकार ख़बर नवीस
Atul "Krishn"
ऐसा बेजान था रिश्ता कि साँस लेता रहा
ऐसा बेजान था रिश्ता कि साँस लेता रहा
Shweta Soni
जय मां शारदे
जय मां शारदे
Mukesh Kumar Sonkar
चुप रहो
चुप रहो
Sûrëkhâ
बिल्ली
बिल्ली
SHAMA PARVEEN
एक ऐसे कथावाचक जिनके पास पत्नी के अस्थि विसर्जन तक के लिए पै
एक ऐसे कथावाचक जिनके पास पत्नी के अस्थि विसर्जन तक के लिए पै
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कविता
कविता
Shiva Awasthi
वक़्त की आँधियाँ
वक़्त की आँधियाँ
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
दिल का टुकड़ा...
दिल का टुकड़ा...
Manisha Wandhare
दोगलापन
दोगलापन
Mamta Singh Devaa
"वचन देती हूँ"
Ekta chitrangini
Loading...