इतिहास गवाह है ईस बात का
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इतिहास गवाह है ईस बात का
वक्त ही दिखाता है जगह औकात का
इंसा ही इंसा को समझता नहीं
रूसवा करता है अपनी ही जात का
जानवर और इंसा में महज यही फर्क है
फ़र्क पड़ता है उसे हर बात का
दिमाग हर बात पे तर्क करता रहता है,
महसूस करता है दिल सभी जस्बात का
ठहरकर, एकांत में सोच ज़रा
तू तो प्यादा है एक,इस बिछी बिसात का
चिता की ताप भी न साथ जाएगी तेरे
गुरूर न कर, जिंदगी की खैरात का