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2 May 2022 · 1 min read

आज अपने ही घर से बेघर हो रहे है।

पेश है पूरी ग़ज़ल…

आज अपने ही घर से बेघर हो रहे है।
वो मां बाप देखो कितना जार-जार रो रहे हैं।।1।।

चुन चुन कर ख्वाबों से यूं सजाया था।
दीवारों दर तो छूटा ही है रिश्ते भी खो रहे है।।2।।

कत्ल करके हमारा अंजान बन गए है।
गुनाह कर के हाथों के अपने निशां धो रहे है।।3।।

पता ना था यूं हमारी इज़्जत उछालेंगें।
अहसान करके हम पे सबसे बयां कर रहे है।।4।।

मासूम है मोहब्बत ए गम से अंजान है।
नादां दिल देखो ईश्क में कैसे जवां हो रहे है।।5।।

इश्क के सागर में डूबके कोई ना उबरा।
जबसे दिल टूटे है ये नादां आशिक रो रहे है।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

1 Like · 2 Comments · 257 Views
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