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20 Apr 2023 · 1 min read

आकर फंस गया शहर-ए-मोहब्बत में

आकर फंस गया शहर-ए-मोहब्बत में
ज़ख्म-ए-दिल हुआ हुस्न की सोहबत में
उठता नही कोई हाथ,अब दुआ के लिए
जान जोखिम में है इश्क की अदावत में
✍️..पंकज पाण्डेय ‘सावर्ण्य’

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