आंखन तिमिर बढ़ा,
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आंखन तिमिर बढ़ा,
बाल हुए सफेद,
चमडी पर छाई पड़ी,
कहते फिरे वेद.
.
जाता है तो जा अजगर,
घोर किये अपराध,
थोथे गाल बहुत बजाए,
कह गये समसाध,
.
खोज़ अधूरी रहे हमेश,
प्राण प्रतिष्ठा नाहि,
बिन समझ बिन विवेक
पूजन व्यर्थ जाहि.
आंखन तिमिर बढ़ा,
बाल हुए सफेद,
चमडी पर छाई पड़ी,
कहते फिरे वेद.
.
जाता है तो जा अजगर,
घोर किये अपराध,
थोथे गाल बहुत बजाए,
कह गये समसाध,
.
खोज़ अधूरी रहे हमेश,
प्राण प्रतिष्ठा नाहि,
बिन समझ बिन विवेक
पूजन व्यर्थ जाहि.