Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Apr 2017 · 5 min read

“अवसर” खोजें, पहचाने और लाभ उठायें

अवसर का लाभ उठाना एक कला है एक ऐसा व्यक्ति जो जीवन में बहुत मेहनत करता है लेकिन उसे अपने परिश्रम का शत-प्रतिशत लाभ नही मिल पाता और एक व्यक्ति ऐसा जो कम मेहनत में ज्यादा सफलता प्राप्त कर लेता है इन दोनों व्यक्तियों में अंतर केवल अवसर को पहचानने और उसका भरपूर लाभ उठाने भर का होता है प्राय: आपने देखा होगा की अपने वर्तमान से अधिकाँश मनुष्य संतुष्ट नहीं होते हैं। जो वस्तु अपने अधिकार में होती है उसका महत्व, उसका मूल्य हमारी दृष्टि में अधिक नहीं दीखता। वर्तमान अपने हाथ में जो होता। अपने गत जीवन की असफलताओं का भी रोना वे यही कह कर रोया करते हैं कि हमें भगवान या भाग्य ने अच्छे अवसर ही नहीं दिए अन्यथा हम भी जीवन में सफल होते। ऐसा कहना उनकी अज्ञानता है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में अनेक ऐसे अवसर आते हैं जिनसे वह लाभ उठा सकता है। पर कुछ लोग अच्छे और उचित अवसर को पहिचानने में ही अक्षम्य होते हैं। ठीक अवसर को भलीभांति पहचानना तथा उससे उचित लाभ उठाना जिन्हें आता है जीवन में सफल वे ही होते हैं। पर यह भी सत्य है कि अच्छे अवसर प्रत्येक मनुष्य के जीवन में अनेक बार आते हैं। अब हम उन्हें न पहचान पावें या पहचानने पर भी उनसे उचित लाभ न उठा पावें तो यह हमारा अज्ञान है। एक पाश्चात्य विद्वान का कहना है “अवसर के सर के आगे वाले भाग में बाल होते हैं, सर के पीछे वह गंजा होता है। यदि तुम उसे सामने से पकड़ सको, उसके आगे बालों को, तब तो वह तुम्हारे अधिकार में आ जाता है,पर यदि वह किसी प्रकार बचकर निकल गया तो उसे पकड़ा नही जा सकता |
आपको अनेक ऐसे मनुष्य मिलेंगे जो बिना सोचे-समझे यह कह देते हैं कि फलाँ – फलाँ को जो जीवन में सफलतायें मिली वह इत्तफाक के कारण। घटनावश उनका भाग्य उनके ऊपर सदय हो गया और यह इत्तफाक है कि आज सफलता पाकर वे इतने बड़े हो सके। पर सच पूछा जाय तो इत्तफाक से प्रायः कुछ नहीं होता। संसार के समस्त कार्यों के पीछे कार्य – कारण-सम्बन्ध होता है। और यदि इत्तफाक से ही वास्तव में किसी को सुअवसर प्राप्त हो जाता है, तो भी हम न भूलें कि यह बात हमें ‘अपवाद’ के अंतर्गत रखनी चाहिए। एक विद्वान ने कहा है” जीवन में किसी बड़े फल की प्राप्ति के पीछे इत्तफाक का बहुत थोड़ा हाथ होता है।” अंधे के हाथ बटेर भी कभी लग सकती है। लेकिन सफलता प्राप्त करने का सर्वसाधारण और जाना पहिचाना मार्ग है केवल लगन, स्थिरता, परिश्रम, उद्देश्य के प्रति आस्था और समझदारी।
मानिए एक चित्रकार एक चित्र बनाता है तो उसकी सुन्दरता के पीछे चित्रकार का वर्षों का ज्ञान, अनुभव, परिश्रम और अभ्यास है। इस चित्रकला में योग्यता पाने के लिए उसने बरसों आँखें फोड़ी हैं, दिमाग लगाया है तब उसके हाथ में इतनी कुशलता आ पाई है। उसने उन अवसरों को खोजा है जब वह प्रतिभावान चित्रकारों के संपर्क में आकर कुछ सीख सके। जो अवसर उसके सामने आये, उसने उन्हें व्यर्थ ही नहीं जाने दिया वरन् उन अवसरों से लाभ उठाने की बलवती इच्छा उसमें थी और क्षमता भी।
मनुष्यों की समझदारी तथा चीजों को देखने परखने की क्षमता में अन्तर होता है। एक मनुष्य किसी एक घटना या कार्य से बिल्कुल प्रभावित नहीं होता, उससे कुछ भी ग्रहण नहीं कर सकता, जब कि एक दूसरा मनुष्य उसी कार्य या घटना से बहुत कुछ सीखता और ग्रहण करता है।
साधारण रूप से मनुष्य की बुद्धि तथा प्रवृत्ति तीन प्रकार की हो सकती है। इस तथ्य को सिद्ध करने के लिए एक प्रसंग याद आता है “एक नदी के तट पर तीन लड़के खेल रहे हैं। तीनों खेलने के बाद घर वापस आते हैं। आप एक से पूंछते हैं भाई तुमने वहाँ क्या देखा? वह कहता है ‘वहाँ देखा क्या, हम लोग वहाँ खेलते रहे बैठे रहे।’ ऐसे मनुष्यों की आँखें, कान, बुद्धि सब मंद रहती है। दूसरे लड़के से आप पूछते हैं कि तुमने क्या देखा तो वह कहता है कि ‘मैंने नदी की धारा, नाव, मल्लाह, नहाने वाले, तट के वृक्ष, बालू आदि देखी।’ निश्चय ही उसके बाह्य चक्षु खुले रहे, मस्तिष्क खुला रहा था। तीसरे लड़के से पूछने पर वह बताता है कि ‘मैं नदी को देखकर यह सोचता रहा कि अनन्त काल से इसका स्रोत ऐसा ही रहा है। इसके तट के पत्थर किसी समय में बड़ी-बड़ी शिलाएँ रही होंगी। सदियों के जल प्रवाह की ठोकरों ने इन्हें तोड़ा-मरोड़ा और चूर्ण किया है। प्रकृति कितनी सुन्दर है, रहस्यमयी है। तो फिर इनका निर्माता भगवान कितना महान होगा, आदि।’यह तीसरा बालक आध्यात्मिक प्रकृति का है। उसकी विचारधारा, अन्तर्मुखी है। ऐसे ही प्रकृति के लोग अवसरों को ठीक से पहचानने और उनसे काम लेने की पूरी क्षमता रखते है .सतत परिश्रम के फल स्वरूप ही सफलता मिलती है, इत्तफाक से नहीं जो भी अवसर उनके सामने आये उन्होंने दत्तचित्त हो उनसे लाभ उठाया।
यदि हम एक कक्षा के समस्त बालकों को समान अवसर दें, तो भी हम देखते हैं कि सभी बालक एक समान लाभ नहीं उठाते या उठा पाते। बाह्य सहायता या इत्तफाक का भी महत्व होता है पर हम अँग्रेजी कहावत न भूलें ‘भगवान उनकी ही सहायता करता है जो अपनी सहायता स्वयं करना जानते हैं।’अतः आलस्य और कुबुद्धि का त्याग कीजिये। अवसर खोइये मत। उन्हें खोजिये,पहचानिए और लाभ उठाइए ।
अनेक ऐसे आविष्कार हैं जिनके बारे में हम कह सकते हैं कि इत्तफाक से आविष्कर्त्ता को लक्ष्य प्राप्त हो गया पर यदि हम ईमानदारी से गहरे जाकर सोंचे तो स्पष्ट हो जायगा कि इत्तफाक से कुछ नहीं हुआ है। उन आविष्कर्त्ताओं ने कितना अपना समय, स्वास्थ्य, धन और बुद्धि खर्ची है आविष्कार करने के लिए।
न्यूटन के पैरों के निकट इत्तफाक से वृक्ष से एक सेब टपक कर गिर पड़ा और न्यूटन ने उसी से गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त ज्ञान कर लिया। पर न जाने कितनों के सामने ऐसे टूट-टूट कर सेब न गिरे होंगे। पर सभी क्यों नहीं न्यूटन की भी भाँति गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त ज्ञात कर सके? कारण स्पष्ट है। अवसर आया और न्यूटन ने उस अवसर को पकड़ा और उससे लाभ उठाया। न जाने कितने वर्षों से न्यूटन ने इस सिद्धान्त की खोज में दिन रात एक किये थे। सेब का उसकी आँखों के सामने गिरना एक ऐसा इत्तफाक था जिसने बिजली की भाँति उनके मस्तिष्क में ज्योति दी और वह इस आविष्कार के ज्ञाता बन सके। अतः यदि आप जीवन में सफलता चाहते हैं तो अवसर से लाभ उठाना सीखिये।

पंकज “प्रखर”
कोटा , राज.

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 273 Views
You may also like:
कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढ़ा तुमको
कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढ़ा तुमको
Ranjana Verma
💐अज्ञात के प्रति-37💐
💐अज्ञात के प्रति-37💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आईने के पास जाना है
आईने के पास जाना है
Vinit kumar
गलती का भी हद होता है ।
गलती का भी हद होता है ।
Nishant prakhar
💥आदमी भी जड़ की तरह 💥
💥आदमी भी जड़ की तरह 💥
Khedu Bharti "Satyesh"
*बोझ खुद को देह का ढोना पड़ेगा (हिंदी गजल/गीतिका)*
*बोझ खुद को देह का ढोना पड़ेगा (हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
गुलशन के हर फूल को।
गुलशन के हर फूल को।
Taj Mohammad
जर्मनी से सबक लो
जर्मनी से सबक लो
Shekhar Chandra Mitra
"हे वसन्त, है अभिनन्दन.."
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
■ विकृत परिदृश्य...
■ विकृत परिदृश्य...
*Author प्रणय प्रभात*
पेड़
पेड़
Sushil chauhan
डूब जाऊंगा मस्ती में, जरा सी शाम होने दो। मैं खुद ही टूट जाऊंगा मुझे नाकाम होने दो।
डूब जाऊंगा मस्ती में, जरा सी शाम होने दो। मैं...
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
रेत सी....
रेत सी....
Shraddha
आज की प्रस्तुति - भाग #1
आज की प्रस्तुति - भाग #1
Rajeev Dutta
दादी माँ
दादी माँ
Fuzail Sardhanvi
लिपस्टिक की दुहाई
लिपस्टिक की दुहाई
Surinder blackpen
साजिशें ही साजिशें...
साजिशें ही साजिशें...
डॉ.सीमा अग्रवाल
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
खोपक पेरवा (लोकमैथिली_कविता)
खोपक पेरवा (लोकमैथिली_कविता)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
पहचान के पर अपने उड़ जाना आसमाँ में,
पहचान के पर अपने उड़ जाना आसमाँ में,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
The Earth Moves
The Earth Moves
Buddha Prakash
🚩माँ, हर बचपन का भगवान
🚩माँ, हर बचपन का भगवान
Pt. Brajesh Kumar Nayak
राष्ट्र जाति-धर्म से उपर
राष्ट्र जाति-धर्म से उपर
Nafa Singh kadhian
*** चल अकेला.......!!! ***
*** चल अकेला.......!!! ***
VEDANTA PATEL
भाये ना यह जिंदगी, चाँद देखे वगैर l
भाये ना यह जिंदगी, चाँद देखे वगैर l
अरविन्द व्यास
जब चलती पुरवइया बयार
जब चलती पुरवइया बयार
श्री रमण 'श्रीपद्'
जो भी थे सब अधूरे
जो भी थे सब अधूरे
Dr fauzia Naseem shad
Writing Challenge- मुस्कान (Smile)
Writing Challenge- मुस्कान (Smile)
Sahityapedia
तेरे हुस्न के होगें लाखों दिवानें , हम तो तेरे दिवानों के का
तेरे हुस्न के होगें लाखों दिवानें , हम तो तेरे...
Sonu sugandh
कुछ पुराने पन्ने आज मैं फिर से सजाऊंगी
कुछ पुराने पन्ने आज मैं फिर से सजाऊंगी
Seema Tailor
Loading...