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7 Jul 2016 · 1 min read

*अब जी लो*

अब जी लो तुम जी भर कर
ये समां नहीँ फिर आयेगा
बीता पल इस जीवन में
फिर लौट कहाँ से पायेगा

दौर गमों का जो छाया
कायम ना रह पायेगा
अमृत है जो जीवन का
पान इसे कर जायेगा

नगमा लबों पर अपने ही
जब भी तू लेकर आयेगा
साज नया फिर हो जाये
गीत जो दिल से गायेगा

अब जी लो तुम जी भर कर
ये समां नहीँ फिर आयेगा……
*धर्मेन्द्र अरोड़ा*

Language: Hindi
Tag: कविता
366 Views

Books from धर्मेन्द्र अरोड़ा "मुसाफ़िर पानीपती"

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