अफ़सोस
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तुम्हारे पास एक मौक़ा था
लेकिन उससे तुम चूक गए
मुझे ठगने की कोशिश में
खुद-ब-खुद ही तुम लुट गए…
(१)
विश्वास का जो धागा है न
बहुत ही नाज़ुक होता है
वो धागे कब जुड़ सकते हैं
बस एक बार जो टूट गए…
(२)
तुमको लेकर मेरे दिल में
कैसे कैसे अरमान थे
लेकिन ख़ैर छोड़ो उन्हें
वे बहुत पीछे छूट गए…
(३)
अब ख्वामखाह पछताने में
आख़िर रखा ही क्या है
जो कभी तुमपे आशिक थे
उनके जनाजे उठ गए…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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