Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jan 2023 · 6 min read

अफसोस

मुहावरा मशहूर है #आ बैल मुझे मार# जो वास्तव मे उन लोंगो पर सटीक बैठती है जो बिन मतलब हर जगह अपना दिमाग लगाते रहते है।
समस्तीपुर बिहार के सरौरा गांव में ही इलाके के बड़े जमींदार राम भुसल सिंह जिनका पूरे इलाके में बड़ा दबदबा था रहते थे गांव के पास ही एक मंदिर था जिसके पुजारी थे संपत गिरी संपत गिरी धर्मभीरु और बहुत विनम्र व्यक्ति थे ।

मंदिर कि आमदनी अच्छी खासी थी जिसके कारण संपत गिरी कि हैसियत भी खासी थी संपत गिरी गृहस्थ पुजारी थे उनके दो बेटे कौस्तुभ एव कृपा एव सबसे बड़ी बेटी वैशाली थी पुजारी जी कि बेटी बहुत सुंदर एव गुणवान थी पुजारी जी ने बच्चों कि शिक्षा पर खासा ध्यान दिया था और बच्चों को अच्छे से अच्छे स्कूल में शिक्षा के लिये उपलब्ध कराए जिसके कारण पुजारी जी कि संताने बेटी बेटे शिक्षा के क्षेत्र में खासी उपलब्धि हासिल की थी ।

पुजारी जी कि बेटी ने भी स्नातक किया पुजारी जी को उसके विवाह कि चिंता सताने लगी एक दिन जमींदार राम भुआल सिंह मंदिर पर दर्शन करने आये पुजारी जी ने उनका बहुत आदर सत्कार किया जब जमींदार राम भुआल सिंह ने पूछा कि महाराज सब कुशल मंगल है मंदिर पर कोई परेशानी तो नही है पुजारी संपत बोले सिंह मालिक ईश्वर कि कृपा से सब कुशल ही है बेटे पढ़ रहे है कहीं न कहीं ईश्वर उनकी रोजी रोटी कि व्यवस्था कर ही देगा ।

हमे चिंता है बैशाली बिटिया कि बी ए पास कर चुकी है उसी के विवाह कि चिंता सता रही है जब पुजारी जी जमींदार राम भुआल सिंह से बात कर रहे थे वहां उनका ट्राइवर नवतेज सब बातें सुन रहा था ।

नवतेज था तो ड्राइवर लेकिन जिस तरह से उसके मॉलिक राम भुआल सिंह की जमीदारी कि धाक थी उसी प्रकार उनके ड्राइवर नवतेज की धाक रूरल बैरिस्टर कि थी (रूरल बैरिस्टर का मतलब कि गांवों के हर सुलझे उलझे मामले में जिसकी राय को गांव वाले तरजीह देते हो इज़्ज़त करते हो )ऐसा व्यक्ति वर्तमान में गांवो में यदा कदा लेकिन उन्नीस सौ नब्बे के दशक तक लगभग हर गांव में मिलते थे पुजारी जी एव जमींदार साहब कि बातों को बीच मे टोकता नवतेज बोला कि मॉलिक हुकुम हो तो पुजारी जी कि सुंदर गुणवती बेटी बैशाली के लिए एक रिश्ता हम बताये लड़का मजिस्ट्रेट हैं और घर कि भी हालत बहुत अच्छी हैं ।

जमींदार राम भुआल जी बोले ठीक है तुम मुझे बताना मैं पुजारी जी से बात करूंगा जमींदार नवतेज सिंह ने पुजारी संपत जी से जाने कि इज़ाज़त लिया और चले गए रास्ते मे उन्होंने नवतेज से पूछा क्यो नवतेज तुम्हे पुजारी जी कि कन्या के लिए कोई उचित रिश्ता मालूम भी है या ऐसे ही तुमने बोल दिया ।

नवतेज बोला नही मालिक मुझे मालूम है सरवनी गांव में दुर्गेश शर्मा का लड़का मजिस्ट्रेट है रामभुआल सिंह बोले नवतेज सोच समझ कर बताना कही ऐसा वैसा कुछ भी हो गया तो सब मेरे ही माथे दोष आएगा तुमसे तो कोई कुछ नही पूछेगा कुछ बोलेगा भी नही और मामला# आ बैल मुझे मार #वाला हो जाएगा मुझे जबाब देते नही बनेगा नवतेज और भी आत्मविश्वास से बोला नही मॉलिक कुछ भी उल्टा सीधा नही होगा मैं जो बता रहा हूँ सौ फीसदी सही बता रहा हूँ।

रामभुआल सिंह घर पहुंचे एक सप्ताह बाद फिर मंदिर पहुंचे पुजारी संपत गिरी के आवो भगत करने के बाद उन्होंने पुजारी जी को सरवनी के दुर्गेश शर्मा के बेटे को अपनी बेटी के विवाह के लिए देखे वास्तविकता कि जानकारी करने के बाद उचित लगे तो रिश्ता करे कि सलाह दिया और चले आए।

राम भुआल सिंह लौट आये पुजारी संपत बेटी के विवाह के लिए सरवनी दुर्गेश शर्मा के घर पहुंचे और जमींदार रामभुआल सिंह को रिश्ते का मार्फ़त बताया दुर्गेश शर्मा ने बेटे शक्ति की जन्म कुंडली और वैशाली कि जन्म कुंडली का मिलान कराया वैवाहिक ग्रह मैत्री बहुत उत्तम गुणों से मिल रही थी जब पुजारी संपत ने लड़के से मिलने कि इच्छा जताई तो दुर्गेश शर्मा ने मात्र इतना ही कहा कि लड़का बाहर रहता है यदि चाहे तो जाकर स्वंय मिल ले और पता दे दिया।

पुजारी संपत लौट आये उन्हें अब तक जो भी जानकारी मिली थी वह नवतेज के बताये अनुसार ही थी फिर भी वह एक बार शक्ति से मिल कर इत्मीनान कर लेना चाहते थे अतः वे स्वंय मुजफ्फरपुर गए जो पता दुर्गेश शर्मा ने दिया था उस पर मजिस्ट्रेट एव मोहल्ला लिखा था रविवार का दिन था पुजारी संपत दुर्गेश के बताये पते पर पहुंचे और मोहल्ले वालों से पूछा मजिस्ट्रेट कहाँ रहते है मोहल्ले वालों ने मजिस्ट्रेट का निवास बताया पुजारी संपत वहां पहुँच कर दंग रह गए जिस शानो शौकत से रहते थे मजिस्ट्रेट पुजारी संपत ने मजिस्ट्रेट के रहन सहन को देखा खासे प्रभवित हुये मजिस्ट्रेट सुडौल कद काठी का इंसान नौवजवन था ।
संपत पुजारी ने मजिस्ट्रेट से अपनी पुत्री के विवाह का निर्णय कर लिया और जाकर खुशखबरी जमींदार रामभुआल सिंह को बताई राम भुआल सिंह को बहुत खुशी हुई उन्होंने पुजारी संपत को

बेटी कि विवाह कि बधाई दिया साथ ही साथ और आश्वाशन दिया कि बिटिया के विवाह में अवश्य आएंगे लेकिन जमींदार रामभुआल के मन मे कही से
नवतेज के विषय मे संदेह बना रहा अत उन्होंने नवतेज को पुनः बुलाकर पूछा की तुमने जो रिश्ता पुजारी संपत कि बेटी के लिए बताया हैं उसमें कोई कमी तो नही है यदि ऐसा हुआ तो #आ बैल मूझे मार # वाली स्थिति होगी नवतेज पुनः अपने मॉलिक रामभुआल सिंह को आश्वस्त करते हुए बोला नही मॉलिक मेरी जानकारी दुरुस्त है जमींदार रामभुआल को भी लगा शायद ईश्वर ने दोनों कि जोड़ी बनाई हो और नवतेज को माध्यम जो होगा अच्छा ही होगा ।

पुजारी संपत ने बेटी वैशाली का विवाह बड़े धूम धाम से किया जमींदार रामभुआल सिंह तो सम्मिलित हुए ही इलाके का हर बड़ा छोटा पुजारी जी की बेटी में अपनी सद्भावना के साथ सम्मीलित हुआ ।

वैशाली विदा होकर अपने ससुराल गयी लगभग एक सप्ताह बाद उसने अपने पिता संपत को बुलाया पुजारी संपत को लगा क्या बात हो गई बैशाली बिटिया ने बुलाया है अभी सप्ताह भी नही बीते विवाह को पुजारी आनन फानन सरवनी पहुंचे दुर्गेश एव मजिस्ट्रेट दोनों ही मौजूद थे।

पुजारी संपत बिटिया वैशाली से मिलने गये तब उसने जो बताया सुनकर पुजारी संपत के पैर के नीचे से जमीन खिसक गई वैशाली ने बताया की मजिस्ट्रेट वास्ततिक मजिस्ट्रेट नही है बल्कि उसका नाम मजिस्ट्रेट है वह अभी बी ए का छात्र है पढ़ाई लिखाई में कमजोर है एव पढ़ाई देर से शुरू किया बेटी से मिलने के बाद पुजारी संपत दूर्गेश शर्मा से मिले और उन्होंने पूछा कि जो जन्म पत्री विवाह हेतु दिया था वह तो शक्ति का था मजिस्ट्रेट नाम कैसे हो गया दूर्गेश शर्मा ने बताया कि मजिस्ट्रेट का घर का नाम शक्ति ही है जब इसे गांव के प्राइमरी स्कूल में दाखिले के लिए ले कर जा रहे थे तब हेडमास्टर रामलौट जी बोले दूर्गेश जी आपका बेटा तो विल्कुल मजिस्ट्रेट लगता है तब हम बोले हेडमास्टर साहब इसका नाम स्कूल में मजिस्ट्रेट ही लिख दीजिये तब से मेरा बेटा मजिस्ट्रेट नाम से मशहूर हो गया और शक्ति नाम कोई नही जानता अब आप सवाल यह भी करेंगे की जब आप इससे मिलने मुजफ्फरपुर गए थे तो इसके रहन सहन विल्कुल असली मजिस्ट्रेट जैसा ही था सही है मैंने अपने बेटे को शहर में सारी व्यवस्थाओं को दे रखा है जैसा इसका नाम वैसा ही रहन सहन है ।
यदि मेरे बेटे को अपने क्लक्टर या सरकारी प्रशासन का मजिस्ट्रेट समझा हो तो आपकी भूल है मेरी कोई गलती नही है आप यदि चाहे तो अपनी बेटी को ले जा सकते है

पुजारी संपत के पास कोई चारा नही था कर भी क्या सकते थे बैशाली को लेकर चले आये और दूसरे दिन जमींदार राम भुआल सिंह को स्थिति से अवगत कराया रामभुआल सिंह ने नवतेज को बुलाया वह आया और सर झुकाते हुये माफी मांगने लगा बोला मॉलिक हमे नही मालूम था की दूर्गेश का बेटा असली मजिस्ट्रेट है या उसका नाम मजिस्ट्रेट है।

जमींदार रामभुआल ने सर पकड़ लिया और बोले बिटिया को साथ घर लेते आये है पुजारी जी बोले हा मॉलिक जमींदार राम भुआल सिंह ने कहा बिटिया कि जिम्मेदारी अब मेरी है आपने मेरे भरोसे बिटिया का विवाह किया था मैंने नवतेज को तभी आगाह किया था कि कही #आ बैल मुझे मार #मुहावरा ही सही न हो जाये हुआ भी यही अब बिना वास्तविकता जाने बड़बोले पन कि सजा भुगतनी ही पड़ेगी ।

जमींदार ठाकुर रामभुआल सिंह ने बैशाली को स्नातकोत्तर कि शिक्षा दिलाई और पी एच डी कराया बौशाली रहती पुजारी संपत के साथ ही लेकिन उसकी पूरी जिम्मेदारी जमींदार रामभुआल ने उठा रखी थी बैशाली डिग्री कॉलेज में लेक्चरर हो गयी और उसका पुनः विवाह ठाकुर रामभुआल सिंह ने उसी डिग्री कॉलेज के लेक्चरर सौरभ से किया जहां वैशाली पढ़ाती थी।

शक्ति उर्फ मजिस्ट्रेट बी ए पास नही कर सका और गांव में दूर्गेश के दौलत पर ऐयासी करता और कुछ भी था सब बर्बाद कर चुका था।।

नन्दलाल मणि त्रिपठी पीताम्बर गोरखपुर उतर प्रदेश।।

Language: Hindi
Tag: कहानी
25 Views
You may also like:
गीत
गीत
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
दोष दृष्टि क्या है ?
दोष दृष्टि क्या है ?
Shivkumar Bilagrami
जमीन की भूख
जमीन की भूख
Rajesh Rajesh
*चोरी के बाद (व्यंग्य)*
*चोरी के बाद (व्यंग्य)*
Ravi Prakash
//स्वागत है:२०२२//
//स्वागत है:२०२२//
Prabhudayal Raniwal
जाने कितने ख़त
जाने कितने ख़त
Ranjana Verma
रिश्तो मे गलतफ़हमी
रिश्तो मे गलतफ़हमी
Anamika Singh
कुर्सी के दावेदार
कुर्सी के दावेदार
Shyam Sundar Subramanian
ऊंचाई को छूने में गिरना भी लाजमी है
ऊंचाई को छूने में गिरना भी लाजमी है
'अशांत' शेखर
कलम
कलम
शायर देव मेहरानियां
प्रणय 3
प्रणय 3
Ankita Patel
तूफां से लड़ता वही
तूफां से लड़ता वही
Satish Srijan
डूब कर इश्क में जीना सिखा दिया तुमने।
डूब कर इश्क में जीना सिखा दिया तुमने।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बयां क्या करें हम उनको जुबां से।
बयां क्या करें हम उनको जुबां से।
Taj Mohammad
देश अनेक
देश अनेक
Santosh Shrivastava
जो मासूम हैं मासूमियत से छल रहें हैं ।
जो मासूम हैं मासूमियत से छल रहें हैं ।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
रावण का तुम अंश मिटा दो,
रावण का तुम अंश मिटा दो,
कृष्णकांत गुर्जर
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
बसेरा उठाते हैं।
बसेरा उठाते हैं।
रोहताश वर्मा मुसाफिर
प्रकृति से हम क्या सीखें?
प्रकृति से हम क्या सीखें?
Rohit Kaushik
रंग मे रंगोली मे गीत मे बोली
रंग मे रंगोली मे गीत मे बोली
Vindhya Prakash Mishra
तुम जीवो हजारों साल मेरी गुड़िया
तुम जीवो हजारों साल मेरी गुड़िया
gurudeenverma198
मेरी बनारस यात्रा
मेरी बनारस यात्रा
विनोद सिल्ला
Sishe ke makan ko , ghar banane ham chale ,
Sishe ke makan ko , ghar banane ham chale ,
Sakshi Tripathi
हम तमाशा थे ज़िन्दगी के लिए
हम तमाशा थे ज़िन्दगी के लिए
Dr fauzia Naseem shad
"नवसंवत्सर सबको शुभ हो..!"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
सरकार और नेता कैसे होने चाहिए
सरकार और नेता कैसे होने चाहिए
Ram Krishan Rastogi
👀👁️🕶️मैंने तुम्हें देखा,कई बार देखा🕶️👁️👀
👀👁️🕶️मैंने तुम्हें देखा,कई बार देखा🕶️👁️👀
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
भूखे भेड़िए
भूखे भेड़िए
Shekhar Chandra Mitra
■ आज का दोहा
■ आज का दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...