अप्प दीपो भव
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आजकल इस दुनिया में
इतनी ज़्यादा संगीन रात!
कि अपने एक हाथ को ही
सूझता नहीं है दूसरा हाथ!!
तुझे जाना है दूर तक तो
तू ख़ुद अपना चिराग़ बन!
उधार की रोशनी आख़िर
कहां तक देगी तेरा साथ!!
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