*अधूरा प्रेम (कुंडलिया)*

अधूरा प्रेम (कुंडलिया)
________________________________
भरकर अंजलि प्यार की ,पाते जो इंसान
जीवन उनका स्वर्णमय ,मधुमय श्रेष्ठ महान
मधुमय श्रेष्ठ महान , प्यार अमृत कहलाता
धन्य-धन्य वह भाग्य ,प्रीति का प्याला पाता
कहते रवि कविराय ,जन्म लेते फिर मरकर
प्रेमी करते प्रेम , अधूरा अंजलि भरकर
_____________________________________
अंजलि = दोनों हाथों की हथेलियों को जोड़कर बनने वाला गड्ढा
_____________________________________
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश))
मोबाइल 99976 15451