*अधूरा प्रेम (कुंडलिया)*

*अधूरा प्रेम (कुंडलिया)*
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भरकर अंजलि प्यार की ,पाते जो इंसान
जीवन उनका स्वर्णमय ,मधुमय श्रेष्ठ महान
मधुमय श्रेष्ठ महान , प्यार अमृत कहलाता
धन्य-धन्य वह भाग्य ,प्रीति का प्याला पाता
कहते रवि कविराय ,जन्म लेते फिर मरकर
प्रेमी करते प्रेम , अधूरा अंजलि भरकर
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*अंजलि* = दोनों हाथों की हथेलियों को जोड़कर बनने वाला गड्ढा
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*रचयिता : रवि प्रकाश*
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश))
मोबाइल 99976 15451