*अज्ञानी की कलम*
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अज्ञानी की कलम
नैनों नदी सूखत नीर है।
प्रीति दिल गई चीर है।
हृदय ईशअंश कोहूनीर है।
दीवानगी देती पीर है।।
नज़रों में बसी तस्वीर है।
न बुर्जुगों की नज़ीर है।।
देश की दशा गम्भीर है।
गरीबों की तक्द़ीर है।।
बेरोज़गारी पीर पज़ीर है।
सबको मिले समीर है।।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झांसी उ•प्र•