“अगर हो वक़्त अच्छा तो सभी अपने हुआ करते
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“अगर हो वक़्त अच्छा तो सभी अपने हुआ करते
लगें जब मुफ़लिसी की ठोकरें रिश्ते सिखाती हैं”
आर.एस. ‘प्रीतम’
शब्दार्थ- मुफ़लिसी- ग़रीबी/निर्धनता
“अगर हो वक़्त अच्छा तो सभी अपने हुआ करते
लगें जब मुफ़लिसी की ठोकरें रिश्ते सिखाती हैं”
आर.एस. ‘प्रीतम’
शब्दार्थ- मुफ़लिसी- ग़रीबी/निर्धनता