Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jun 2021 · 1 min read

नियत देखी

उस आदमी ने बड़े सुकून से ,आदमियत देखी।
उसने लोगों के बीच की ,हसीन कैफ़ियत देखी।
वो भागता रह गया आदमी को आदमी बनाने के लिए,
लोग उसे कोसते रहे ,जिसने अच्छी नियत देखी।
– सिद्धार्थ पाण्डेय

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 232 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अभी नहीं पूछो मुझसे यह बात तुम
अभी नहीं पूछो मुझसे यह बात तुम
gurudeenverma198
24/228. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/228. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्यार जिंदगी का
प्यार जिंदगी का
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बसंत
बसंत
Bodhisatva kastooriya
किसी का यकीन
किसी का यकीन
Dr fauzia Naseem shad
पति पत्नी में परस्पर हो प्यार और सम्मान,
पति पत्नी में परस्पर हो प्यार और सम्मान,
ओनिका सेतिया 'अनु '
नारी तेरे रूप अनेक
नारी तेरे रूप अनेक
विजय कुमार अग्रवाल
हिम्मत और महब्बत एक दूसरे की ताक़त है
हिम्मत और महब्बत एक दूसरे की ताक़त है
SADEEM NAAZMOIN
पृथ्वी की दरारें
पृथ्वी की दरारें
Santosh Shrivastava
💐प्रेम कौतुक-451💐
💐प्रेम कौतुक-451💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
"इसलिए जंग जरूरी है"
Dr. Kishan tandon kranti
सब कुर्सी का खेल है
सब कुर्सी का खेल है
नेताम आर सी
फांसी का फंदा भी कम ना था,
फांसी का फंदा भी कम ना था,
Rahul Singh
चुप
चुप
Ajay Mishra
द्रोण की विवशता
द्रोण की विवशता
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ढलती उम्र का जिक्र करते हैं
ढलती उम्र का जिक्र करते हैं
Harminder Kaur
युवा कवि नरेन्द्र वाल्मीकि की समाज को प्रेरित करने वाली कविता
युवा कवि नरेन्द्र वाल्मीकि की समाज को प्रेरित करने वाली कविता
Dr. Narendra Valmiki
वक्त से लड़कर अपनी तकदीर संवार रहा हूँ।
वक्त से लड़कर अपनी तकदीर संवार रहा हूँ।
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सौंधी सौंधी महक मेरे मिट्टी की इस बदन में घुली है
सौंधी सौंधी महक मेरे मिट्टी की इस बदन में घुली है
'अशांत' शेखर
रैन बसेरा
रैन बसेरा
Shekhar Chandra Mitra
क्यों कहते हो प्रवाह नहीं है
क्यों कहते हो प्रवाह नहीं है
Suryakant Dwivedi
इंतजार करना है।
इंतजार करना है।
Anil chobisa
पूर्णिमा का चाँद
पूर्णिमा का चाँद
Neeraj Agarwal
*जल्दी उठना सीखो (बाल कविता)*
*जल्दी उठना सीखो (बाल कविता)*
Ravi Prakash
जिंदगी भर ख्वाहिशों का बोझ तमाम रहा,
जिंदगी भर ख्वाहिशों का बोझ तमाम रहा,
manjula chauhan
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
"सुखी हुई पत्ती"
Pushpraj Anant
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
subhash Rahat Barelvi
😊आज का ज्ञान😊
😊आज का ज्ञान😊
*Author प्रणय प्रभात*
***दिल बहलाने  लाया हूँ***
***दिल बहलाने लाया हूँ***
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...