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30 May 2021 · 2 min read

आखिरी गीत प्रेम का

मेरा
प्रथम और
आखिरी गीत प्रेम का
तुम ही हो मेरे
प्रभु
और इस संसार का
हर प्राणी और इंसान भी
जिसमें तुम बसते हो
तुम कण कण में
विराजमान हो
मेरे मन में तो
मेरे इस धरती पर जन्म
लेने के
पहले क्षण से ही
सजते हो
तुम से मेरा यह
बंधन अटूट है
तुमने मुझे
इस पृथ्वी पर
भेजा है
जब तुम चाहोगे
तब तुम्हारे पास ही
लौटकर मुझे आना है
तुम ही मेरी प्रीत हो
तुम ही मेरे मीत हो
तुम ही मेरे होठों से
हरदम गुनगुनाते एक
मधुर गीत हो
मैं तो तुम्हारी ही
सृष्टि
तुम्हारी ही भक्ति
तुम्हारी ही दृष्टि
तुमसे ही
मेरे जीवन की गति
जीने की वजह
सांसो की लय
तुमने ही प्रदान किया
मुझे जीवन का यह
अनमोल उपहार
तुमने ही भेजा
मुझे संसार में
किसी उद्देश्य से
करने को इसका उद्धार
तुम्हारे नाम की बांसुरी
मैं अपने मन के होठों से
बजाती रहूं
तुम्हें स्मरण करती रहूं
तुम्हारे हृदय के मन्दिर में
अपने प्रेम के दीपक जलाती
रहूं
तुम सबके दुख दूर करना
सबके अंधेरे मन के कोनों में
उजाला भरना
सबकी झोली खुशियों से
भरना
मेरे मन में तो
तुम्हारा वास है
मैं तुम्हारा अंश हूं
मैं कभी खुद के लिए
न कुछ मांगू प्रभु
तुम्हारे रूप के दर्शन होते रहे
आखिरी सांस तक
हर क्षण
यही उपकार बनाये रखना
प्रभु
तुम्हारे दर्शन से ही
यह दिन उगे
यह सांझ ढले
यह रात बीते
यह जीवन कटे
तुम ही मेरे जीवन का
आधार
तुम ही मेरे प्रथम और
आखिरी दर्पण में सजते श्रृंगार प्रेम के।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 348 Views
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