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11 Feb 2017 · 1 min read

II..पाठ पढ़ ले प्रेम का…II

बात चलती जब कभी भी बंदगी की l
घेरने लगती है यादें फिर किसी की ll

मेरा रब वो मेरा ईश्वर है वही सब l
क्या है मंदिर और मस्जिद सब उसी की ll

पाठ पढ़ ले प्रेम का तो आदमी हम l
काम आए जिंदगी भी ए किसी की ll

शान से जीना यहां पर और जाना l
है करम जिसका इबादत भी उसी की ll

संजय सिंह “सलिल”
प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश l

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