Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2017 · 2 min read

सुमिरन

सुमिरन
————-

सागर किनारे खड़ा मैं इससे पहले की कुछ संभल पाता..
अचानक से लगभग बीस ….पच्चीस फुट ऊंची एक लहर ने मुझे अपने आगोश में ले लिया और मैं ना चाहते हुए भी लहरो के साथ बहता चला जा रहा था बचने के लिए काफी हाथ पॉव मारता रहा।थक गया और ड़ूबने लगा मैं बहुत बुरी तरह छटपटा रहा था…..वहॉ आस-पास कोई मेरी आवाज सुनने वाला कोई नही था। मैं समझ गया था कि मैं मौत के आगोश में हूॅ परन्तु मैंने साहस नही त्यागा चारो तरफ पानी ही पानी देखकर मेरी ज़बान पर बार-२उस ईश्वर का नाम आ ..रहा था। मैं बहुत देर छटपटाया परन्तु उसके बाद मैं ऊपर वाले से रहम की भीख मागी और फिर मैं नही जानता उस…… अथाह सागर में मुझे कौन….. बचाने आया क्योकि जब मेरी ऑख खुली तो मैं किनारे पर था तेज धूप से मेरी ऑखें चुंधियॉ सी गयी थी मैने होश आने पर एक बात का एहसास अवश्य हुआ…उस दिन मॉ की बात याद आयी वो हमेशा कहा करती थी अरे! भगवान हमेशा हमारे पास हमारे साथ ही रहते है। बस साहस के साथ लड़ते रहो। जब हमारे बस में कुछ…. नही रहता तो वो तुरन्त आकर हमारी मदद करते है।मैं हमेशा यही सोचता था कि माँ मेरा दिल बहलाने के लिए..
एेसी बातें करती रहती है। और ईश्वर तो सिर्फ मूर्तियों में रहते है। मैं एेसा कहकर माँ की बात
कभी ध्यान से नही सुनता था। लेकिन उस हादसे ने मुझे उस अदृश्य शक्ति को मानने लगा। जिसने आकर मुझे मौत के मुहँ में जाने से रोक लिया।और मैं आज जीता जागता तुम्हारे सामने खड़ा हूँ। सच बताऊं उस वक्त अपने पूरे जीवन में मैंने सच्चे मन से भगवान को याद किया था।और वो आये और मुझे बचाया यह भी सत्य है।
परन्तु आज मेरा बेटा… ठीक मेरी तरह नही पापा ! आपको किसी आदमी ने ही
बचाया होगा।मैने उसे बताया अरे बेटा ! अगर आदमी ने भी बचाया तो वो मानव रूप में मुझे बचाने आये।
वो हमें हर विपदा से…. निकालते है परन्तु हम ही ऐसे है जो केवल उन्हे विपत्ति के वक्त ही याद करते है…..
ठीक कहते हो पापा….. हमारी हिन्दी टीचर ने भी हमे
पढ़ाया है।
दु:ख में सुमिरन सब करे सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे दु:ख काहे को होय।

सुधा भारद्वाज
विकासनगर उत्तराखण्ड

Language: Hindi
351 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गले लगा लेना
गले लगा लेना
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
एक दिन का बचपन
एक दिन का बचपन
Kanchan Khanna
"अजीब दस्तूर"
Dr. Kishan tandon kranti
भगतसिंह का आख़िरी खत
भगतसिंह का आख़िरी खत
Shekhar Chandra Mitra
🏛️ *दालान* 🏛️
🏛️ *दालान* 🏛️
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
शीर्षक – वह दूब सी
शीर्षक – वह दूब सी
Manju sagar
सुधार आगे के लिए परिवेश
सुधार आगे के लिए परिवेश
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
*राजा राम सिंह का वंदन, जिनका राज्य कठेर था (गीत)*
*राजा राम सिंह का वंदन, जिनका राज्य कठेर था (गीत)*
Ravi Prakash
मैने नहीं बुलाए
मैने नहीं बुलाए
Dr. Meenakshi Sharma
डुगडुगी बजती रही ....
डुगडुगी बजती रही ....
sushil sarna
महसूस करो दिल से
महसूस करो दिल से
Dr fauzia Naseem shad
जख्म भरता है इसी बहाने से
जख्म भरता है इसी बहाने से
Anil Mishra Prahari
वो ज़िद्दी था बहुत,
वो ज़िद्दी था बहुत,
पूर्वार्थ
बचपन की यादें
बचपन की यादें
Neeraj Agarwal
माचिस
माचिस
जय लगन कुमार हैप्पी
तू
तू
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
■ नज़रिया बदले तो नज़ारे भी बदल जाते हैं।
■ नज़रिया बदले तो नज़ारे भी बदल जाते हैं।
*Author प्रणय प्रभात*
भावक की नीयत भी किसी रचना को छोटी बड़ी तो करती ही है, कविता
भावक की नीयत भी किसी रचना को छोटी बड़ी तो करती ही है, कविता
Dr MusafiR BaithA
Below the earth
Below the earth
Shweta Soni
कमियाॅं अपनों में नहीं
कमियाॅं अपनों में नहीं
Harminder Kaur
छोड़ दो
छोड़ दो
Pratibha Pandey
सफलता
सफलता
Paras Nath Jha
" पहला खत "
Aarti sirsat
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
भावुक हुए बहुत दिन हो गए
भावुक हुए बहुत दिन हो गए
Suryakant Dwivedi
आहट बता गयी
आहट बता गयी
भरत कुमार सोलंकी
एक और द्रौपदी (अंतःकरण झकझोरती कहानी)
एक और द्रौपदी (अंतःकरण झकझोरती कहानी)
दुष्यन्त 'बाबा'
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
#तुम्हारा अभागा
#तुम्हारा अभागा
Amulyaa Ratan
2964.*पूर्णिका*
2964.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...