Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2016 · 1 min read

सावन भादों जितना बरसे

मुक्तक
व्याकुल प्रिय से मिलने को मन, करता है प्रभु से मनुहार।
उर अंतस की दीवरों से, बार बार रिसता है प्यार।
मेघों के अति प्रेमामृत से, बुझी नहीं धरती की प्यास।
सावन-भादों जितना बरसे, धधक रहे उतने अंगार।
अंकित शर्मा’ इषुप्रिय’
रामपुर कलाँ,सबलगढ(म.प्र.)

Language: Hindi
239 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
View all
You may also like:
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
जाते जाते मुझे वो उदासी दे गया
जाते जाते मुझे वो उदासी दे गया
Ram Krishan Rastogi
***
*** " मन मेरा क्यों उदास है....? " ***
VEDANTA PATEL
मौसम कैसा आ गया, चहुँ दिश छाई धूल ।
मौसम कैसा आ गया, चहुँ दिश छाई धूल ।
Arvind trivedi
लोभ मोह ईष्या 🙏
लोभ मोह ईष्या 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अगर लोग आपको rude समझते हैं तो समझने दें
अगर लोग आपको rude समझते हैं तो समझने दें
ruby kumari
साहस है तो !
साहस है तो !
Ramswaroop Dinkar
"यादों की बारात"
Dr. Kishan tandon kranti
🙂
🙂
Sukoon
उनको मेरा नमन है जो सरहद पर खड़े हैं।
उनको मेरा नमन है जो सरहद पर खड़े हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
कितनी सहमी सी
कितनी सहमी सी
Dr fauzia Naseem shad
सिर्फ चलने से मंजिल नहीं मिलती,
सिर्फ चलने से मंजिल नहीं मिलती,
Anil Mishra Prahari
विचार, संस्कार और रस [ एक ]
विचार, संस्कार और रस [ एक ]
कवि रमेशराज
कोशिश करना आगे बढ़ना
कोशिश करना आगे बढ़ना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Mukar jate ho , apne wade se
Mukar jate ho , apne wade se
Sakshi Tripathi
- दीवारों के कान -
- दीवारों के कान -
bharat gehlot
मुक्तक
मुक्तक
जगदीश शर्मा सहज
अनुभव
अनुभव
डॉ०प्रदीप कुमार दीप
गीत
गीत
Shiva Awasthi
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अपनी कीमत उतनी रखिए जितना अदा की जा सके
अपनी कीमत उतनी रखिए जितना अदा की जा सके
Ranjeet kumar patre
दस्तक बनकर आ जाओ
दस्तक बनकर आ जाओ
Satish Srijan
💐प्रेम कौतुक-548💐
💐प्रेम कौतुक-548💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
पुकार
पुकार
Dr.Pratibha Prakash
हिंदी दोहा शब्द - भेद
हिंदी दोहा शब्द - भेद
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दूर अब न रहो पास आया करो,
दूर अब न रहो पास आया करो,
Vindhya Prakash Mishra
बातें कल भी होती थी, बातें आज भी होती हैं।
बातें कल भी होती थी, बातें आज भी होती हैं।
ओसमणी साहू 'ओश'
■ केवल लूट की मंशा।
■ केवल लूट की मंशा।
*Author प्रणय प्रभात*
बात पुरानी याद आई
बात पुरानी याद आई
नूरफातिमा खातून नूरी
बड़ी ठोकरो के बाद संभले हैं साहिब
बड़ी ठोकरो के बाद संभले हैं साहिब
Jay Dewangan
Loading...