” ————————————————- समय बड़ा चंचल है ” !!
आहट आज पवन है लाती , या मन में हलचल है !
बेकरार सी लगे निगाहें , बल खाता आँचल है !!
प्रेम के बंधन होते ढीले , शक़ की छांव घनेरी !
कहीं प्रेम में कंवल खिले हैं , कहीं लगे दलदल है!!
चोरी चोरी ताड़ा करते , लिये नज़र पैमाने !
मर्यादा की धार के आगे , झुकते सब मनबल हैं !!
निगरानी ही धर्म बने जब , सदा रहे हैं चौकस !
मात यहां देने सदैव ही , तत्पर बस छलबल है !!
उम्मीदों की डोर बांधती , रिश्ते रेशम रेशम !
रोज़ कसौटी पर कसता है , समय बड़ा चंचल है !!
आज नही तो कल आओगे , हमें यकीं है इतना !
इन्तज़ार तो सदा रहेगा , क्योंकि चाह प्रबल है !!
यहां करे परवाह कौन है , दामन सच्चाई का !
हमें नहीं कमज़ोर समझना , हम तो बड़े सबल हैं !!
बृज व्यास