” ———————————————- यहां कई गलियारे ” !!
हाथ बांध क़ानून खड़ा है , पीड़ित चुप हैं सारे !
कोई खुश नाखुश है कोई , यहां कई गलियारे !!
बरसों बीते हुआ हादसा , कुछ जालिम के हाथों !
कुछ तो फांसी चढ़ने वाले , कुछ के हैं छुटकारे !!
रक्तसनी गाथा लिख डाली , इनके दिल ना कांपे !
जाने कितने मौसम रूठे , रूठी रही बहारें !!
पाक इरादे ना थे जिनके , गोद पाक जा बैठे !
बेचारी सी रही सल्तनत , हमको कौन उबारे !!
निर्दोषों की मौत हो गयी , हम तो रहे सुबकते !
राजनीति के गलियारों में , चर्चे रहे यहां रे !!
पछतावा ना आजतलक है , हंसी बसी अधरों पर !
विधिक लड़ाई अभी है बाकी , छटे न बादर कारे !!
आंखों में घड़ियाली आँसूं , रहम रहम बस चाहें !
फाँसी का फन्दा टल जायें , फिर कल को फुफकारे !!