Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Nov 2016 · 2 min read

मुझे याद हे

मुझे याद हे
जब तुम मेरा हाथ मांगने आये थे I
थोडा घबराये और कितना शरमाये थे I
बाते करने में भी तुम कितना हिचकाये थे
जब में चाय की ट्रे लेकर आई थी
और तुमने गर्म चाय को कापते हाथो से जेसे ही पीना चाहा तुमने सारी चाय अपने उपर गिरा ली थी
तुम शुरू से ही इतने शर्मीले थे I जब कभी भी में तुम से किसी बारे में बात करती तुम बिना किसी बात के तुम हा कर देते थे I
और वो तुम्हारी फ्रेंड किसने तुम्हारा नाम शर्मीली बानो रखा था तुम्हारी कितनी हेल्प करती थी
मुझे याद हे !
तुम क्लास में अव्वल जरुर थे पर बहार एक न. के फटू थे !
और यह भी याद हे जब कोलेज के वो आवारा लड़के मुझे और मेरी फ्रेंड को छेड़ रहे थे ! तुमने अपनी स्मार्टनेस दिखने में उनसे कितनी मार खायी थी ! मुझे याद हे तुम मुझसे प्यार करते थे पर तुममे जाहिर करने की हिम्मत नहीं थी ! मुझे तो यह बात तभी मालूम हो गयी थी जब तुम अपनी पडोसी कॉल्लेज फ्रेंड से मेरे बारे में पूछा करते थे ! मुझे सब याद हे ! तुम्हारा वो होम वर्क अधुरे का बहाना करके अपनी फ्रेंड से मेरी कॉपी लेना , और में पगली इस पल का इंतजार करती ! मुझे कब तुमसे प्यार हो गया मुझे कुछ पता नहीं चला ! खेर प्यार ऐसे ही होता हे !
मुझे बस ये बात नहीं पता थी की तुम्हे लिखना पसंद हे तुम अपने फ्री टाइम में कुछ ग़ज़ल कुछ गीत लिखते थे
यह बात तो मुझे तब पता चली जब कॉलेज केम्पस में तुमने अपनी लिखी एक कविता सुनाई थी ! सुनाई नहीं सुनानी पड़ी जी हां जब कॉलेज प्रोग्राम में अन्क्रिंग तुम्हारी फ्रेंड ने की थी और एक सभी फ्रेंड के कहने पर तुम्हारी बिना इजाजत के तुम्हरा नाम अलोउंस कर दिया था !
तुम कितने शर्मा रहे थे फिर तुमने अपने आप को संभालते हुए एक गीत की कुछ लाइने कही थी
तुम जेसी हो वेसी ही रहना
ये दुनिया रंग बदलू हे पर पर तुम कभी न बदलना !
तुम मुझमें हो और में तुझमे
तुम हमेश ऐसे ही मुस्कुराते रहना मुस्कुराते रहना !
…………………………….!
BY (प्रतीक जांगिड )15-11-2016

Language: Hindi
335 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
एक बार फिर ।
एक बार फिर ।
Dhriti Mishra
*झूठा यह संसार समूचा, झूठी है सब माया (वैराग्य गीत)*
*झूठा यह संसार समूचा, झूठी है सब माया (वैराग्य गीत)*
Ravi Prakash
ढूंढें .....!
ढूंढें .....!
Sangeeta Beniwal
मांगने से रोशनी मिलेगी ना कभी
मांगने से रोशनी मिलेगी ना कभी
Slok maurya "umang"
भगवा है पहचान हमारी
भगवा है पहचान हमारी
Dr. Pratibha Mahi
#सामयिक_गीत :-
#सामयिक_गीत :-
*Author प्रणय प्रभात*
3. कुपमंडक
3. कुपमंडक
Rajeev Dutta
राम काज में निरत निरंतर
राम काज में निरत निरंतर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कुंडलिनी छंद
कुंडलिनी छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
हवायें तितलियों के पर काट लेती हैं
हवायें तितलियों के पर काट लेती हैं
कवि दीपक बवेजा
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
“दूल्हे की परीक्षा – मिथिला दर्शन” (संस्मरण -1974)
DrLakshman Jha Parimal
मैं भटकता ही रहा दश्त ए शनासाई में
मैं भटकता ही रहा दश्त ए शनासाई में
Anis Shah
मुझसे देखी न गई तकलीफ़,
मुझसे देखी न गई तकलीफ़,
पूर्वार्थ
बहुत मुश्किल है दिल से, तुम्हें तो भूल पाना
बहुत मुश्किल है दिल से, तुम्हें तो भूल पाना
gurudeenverma198
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
शायरी - ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
वैसे जीवन के अगले पल की कोई गारन्टी नही है
वैसे जीवन के अगले पल की कोई गारन्टी नही है
शेखर सिंह
हरदा अग्नि कांड
हरदा अग्नि कांड
GOVIND UIKEY
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
रुचि पूर्ण कार्य
रुचि पूर्ण कार्य
लक्ष्मी सिंह
फूल और कांटे
फूल और कांटे
अखिलेश 'अखिल'
गमों की चादर ओढ़ कर सो रहे थे तन्हां
गमों की चादर ओढ़ कर सो रहे थे तन्हां
Kumar lalit
युवा दिवस
युवा दिवस
Tushar Jagawat
तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम +रमेशराज
तेवरी को विवादास्पद बनाने की मुहिम +रमेशराज
कवि रमेशराज
वक़्त की मुट्ठी से
वक़्त की मुट्ठी से
Dr fauzia Naseem shad
2690.*पूर्णिका*
2690.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
उफ़,
उफ़,
Vishal babu (vishu)
दो सहोदर
दो सहोदर
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
"गुलशन"
Dr. Kishan tandon kranti
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मुझे न कुछ कहना है
मुझे न कुछ कहना है
प्रेमदास वसु सुरेखा
Loading...