Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jan 2017 · 1 min read

मिलन की आस

” कैनवास की उकेरी रेखाऐं,
बड़ी नादान हो तुम,
मुस्कुराती भी हो, मचलती भी हो,
इंद्रधनुष के सतरंगी बुँदो की तरह ।

तुम एक नज़रिया हो,
किसी चित्रकार की…. बस,
कोई नियती नहीं,
सुनहरी धूप में खिली गुलाबी पात की तरह ।

हम इत्तेफाक़ नहीं रखते किसी की आहट से,
यूँ ही गली में झाक कर ……. ,
थिड़कती भी हो, सँवरती भी हो,
किसी आँखो के साकार हुए सपने की तरह ।”

पता नहीं क्या आस बिछाय,
अपनी चौखट से बार-बार,
एकटक से क्षितिज निहार रहीं हो…,
स्वाती बुँद की आस लगाये चातक की तरह ।

पीली सरसों पे तितँली को मचलते देख,
तुम भी मिलन की आस लगा लिये,
तेज तुफाँ में भी दीये की लौ जला लिये,
मृगतृष्णा में दौडती रेत की हिरण की तरह ।
बड़ी नादान हो तुम ।

#रामबन्धुवत्स

Language: Hindi
654 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
झूठे से प्रेम नहीं,
झूठे से प्रेम नहीं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
अकेला बेटा........
अकेला बेटा........
पूर्वार्थ
चार दिन की जिंदगी मे किस कतरा के चलु
चार दिन की जिंदगी मे किस कतरा के चलु
Sampada
कभी उगता हुआ तारा रोशनी बांट लेता है
कभी उगता हुआ तारा रोशनी बांट लेता है
कवि दीपक बवेजा
पिता
पिता
Shweta Soni
घट -घट में बसे राम
घट -घट में बसे राम
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
"आओ मिलकर दीप जलायें "
Chunnu Lal Gupta
"नया साल में"
Dr. Kishan tandon kranti
निराली है तेरी छवि हे कन्हाई
निराली है तेरी छवि हे कन्हाई
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
खुद में भी एटीट्यूड होना जरूरी है साथियों
खुद में भी एटीट्यूड होना जरूरी है साथियों
शेखर सिंह
उड़ते हुए आँचल से दिखती हुई तेरी कमर को छुपाना चाहता हूं
उड़ते हुए आँचल से दिखती हुई तेरी कमर को छुपाना चाहता हूं
Vishal babu (vishu)
- फुर्सत -
- फुर्सत -
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
वनमाली
वनमाली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
2776. *पूर्णिका*
2776. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
साजन तुम आ जाना...
साजन तुम आ जाना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
कई आबादियों में से कोई आबाद होता है।
कई आबादियों में से कोई आबाद होता है।
Sanjay ' शून्य'
#DrArunKumarshastri
#DrArunKumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
* आ गया बसंत *
* आ गया बसंत *
surenderpal vaidya
सच तो फूल होते हैं।
सच तो फूल होते हैं।
Neeraj Agarwal
हुआ चैत्र आरंभ , सुगंधित कपड़े पहने (कुंडलिया)
हुआ चैत्र आरंभ , सुगंधित कपड़े पहने (कुंडलिया)
Ravi Prakash
जिंदगी के लिए वो क़िरदार हैं हम,
जिंदगी के लिए वो क़िरदार हैं हम,
Ashish shukla
"बात अपनो से कर लिया कीजे।
*Author प्रणय प्रभात*
अच्छा कार्य करने वाला
अच्छा कार्य करने वाला
नेताम आर सी
सम्मान में किसी के झुकना अपमान नही होता
सम्मान में किसी के झुकना अपमान नही होता
Kumar lalit
ये, जो बुरा वक्त आता है ना,
ये, जो बुरा वक्त आता है ना,
Sandeep Mishra
*हर किसी के हाथ में अब आंच है*
*हर किसी के हाथ में अब आंच है*
sudhir kumar
संघर्ष
संघर्ष
Sushil chauhan
संविधान का शासन भारत मानवता की टोली हो।
संविधान का शासन भारत मानवता की टोली हो।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
फिल्मी नशा संग नशे की फिल्म
फिल्मी नशा संग नशे की फिल्म
Sandeep Pande
फूल सूखी डाल पर  खिलते  नहीं  कचनार  के
फूल सूखी डाल पर खिलते नहीं कचनार के
Anil Mishra Prahari
Loading...