Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2016 · 2 min read

मकान की यादे

मकान का बाहरी कमरा जहाँ दादा जी रहते थे|
ना जाने सोते थे कब, बस जागते रहते थे
पिताजी डाँटते थे जब भी मुझे दादा जी बचाते थे
तुझसे कम सैतान है पापा से कहते थे
कमरे के बीच मे तखत पर दादा जी और उनकी छड़ी रहती थी
दाई तरफ दीवार मे एक दराज मे एक घड़ी रहती थी
दादाजी थे तो घर पर ,लगता था हमेशा एक पहरा था
रिश्तो को संजोये रखने का,हुनर उनके पास गहरा था
अब तो वहाँ बस उनकी तस्वीर और कुछ याद रहती है
जिसमे चेहरे की चमक कुछ धूल से धुंधली सी हो गयी है
कभी पापा साफ करते है कभी हवा साफ कर जाती है
घर मे कोई और तो बात नही करता
लगता है हवा ही दादाजी से कुछ बात कर जाती है ||

सुबह वो उसका ची-2 करके सबको उठा जाना
ज़रा सी आहट होने पर फुर्र से उड़ जाना
मकान के आँगन मे चिड़िया एक घोसला बनाती थी
दिन भर दाना चुंगती, नन्हे बच्‍चों को चुगांती थी
पर अब चिड़िया ने खुद को आँगन मे आने से रोक लिया है
क्यो की घर के आगन को उपरी मंज़िल की छत ने ढक लिया है
मकान की उपरी छत पर कुछ किरायेदार रहते है
जिनसे अब कुछ किराया और कुछ शोर आता है||

मकान का वो कमरा जहाँ पढ़ा करता था मै और भाई
किताब कापियो के अलावा वहाँ दिखता नही कोई
किताबो की जगह अब कम्प्यूटर तन्त्र ने लेली
पहले विधयालय नही जाते थे किताबो के बहाने से
अब बड़े-२ काम हो जाते है एक क्लिक दबाने से||

आज किताबो को पलटा मैने धूल हटाने के बहाने से
सूखा गुलाब निकला जो अमानत था किसी की एक जमाने से
किताबो के पन्नो पर जिनका नाम लिख रखा था
अब वो नाम काम आते है लॅपटॉप का पासवर्ड बनाने मे

जब किताबो की जगह ई-बुक ने ले ली
तो सोचता हूँ की इन सब किताबो का क्या होगा
हर पन्ने मे दफ़न कोई याद,ख्वाबो का क्या होगा
किताबो मे छिपी कहानियो के फरिस्तो का क्या होगा
किताबे माँगने गिरने उठाने के बहाने जो रिस्ते बनते थे अब उन
रिस्तो का क्या होगा||
© शिवदत्त श्रोत्रिय

Language: Hindi
704 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गौर फरमाइए
गौर फरमाइए
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
तुम अगर कांटे बोओऐ
तुम अगर कांटे बोओऐ
shabina. Naaz
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
🍂तेरी याद आए🍂
🍂तेरी याद आए🍂
Dr Manju Saini
नच ले,नच ले,नच ले, आजा तू भी नच ले
नच ले,नच ले,नच ले, आजा तू भी नच ले
gurudeenverma198
محبّت عام کرتا ہوں
محبّت عام کرتا ہوں
अरशद रसूल बदायूंनी
सुकून की चाबी
सुकून की चाबी
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
कदम छोटे हो या बड़े रुकना नहीं चाहिए क्योंकि मंजिल पाने के ल
कदम छोटे हो या बड़े रुकना नहीं चाहिए क्योंकि मंजिल पाने के ल
Swati
यह सुहाना सफर अभी जारी रख
यह सुहाना सफर अभी जारी रख
Anil Mishra Prahari
मोतियाबिंद
मोतियाबिंद
Surinder blackpen
खट्टी-मीठी यादों सहित,विदा हो रहा  तेईस
खट्टी-मीठी यादों सहित,विदा हो रहा तेईस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
मुझे पतझड़ों की कहानियाँ,
Dr Tabassum Jahan
" पीती गरल रही है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
शीर्षक – शुष्क जीवन
शीर्षक – शुष्क जीवन
Manju sagar
निंदा
निंदा
Dr fauzia Naseem shad
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
2386.पूर्णिका
2386.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
लहू जिगर से बहा फिर
लहू जिगर से बहा फिर
Shivkumar Bilagrami
चुभते शूल.......
चुभते शूल.......
Kavita Chouhan
💐प्रेम कौतुक-486💐
💐प्रेम कौतुक-486💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
चुनावी साल में
चुनावी साल में
*Author प्रणय प्रभात*
सासूमां का मिजाज
सासूमां का मिजाज
Seema gupta,Alwar
हे मन
हे मन
goutam shaw
मंज़िल को पाने के लिए साथ
मंज़िल को पाने के लिए साथ
DrLakshman Jha Parimal
अरे शुक्र मनाओ, मैं शुरू में ही नहीं बताया तेरी मुहब्बत, वर्ना मेरे शब्द बेवफ़ा नहीं, जो उनको समझाया जा रहा है।
अरे शुक्र मनाओ, मैं शुरू में ही नहीं बताया तेरी मुहब्बत, वर्ना मेरे शब्द बेवफ़ा नहीं, जो उनको समझाया जा रहा है।
Anand Kumar
"वृद्धाश्रम"
Radhakishan R. Mundhra
आसमां पर घर बनाया है किसी ने।
आसमां पर घर बनाया है किसी ने।
डॉ.सीमा अग्रवाल
इश्क़ में सरेराह चलो,
इश्क़ में सरेराह चलो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
माँ मेरा मन
माँ मेरा मन
लक्ष्मी सिंह
"आखिर में"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...