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12 Jul 2017 · 1 min read

बिरह की बरसात

आज यहाँ बरसात हुई
पर उनसे कहां कोई बात हुई,
रिमझिम बरसी सावन की झड़ी
पर कहां कोई मुलाकात हुई,।
तरसे नैना मन विकल रहा,
पर कहां कोई शुरुआत हुई,
प्यासा हृदय मन बंजर है,
पर यहाँ कहाँ बरसात हुई।
निर्जन वन सा मन का कोना
यहाँ कोलाहल हर रात हुई,
कभी आश जगी कभी प्यास जगी
पर कहां कोई आभास हुई।
इस सावन का मतलब हीं क्या
जब प्रिय मिलन की बात नहीं,
हर बूंद में आंशु भरा हुआ
जैसे नैनन बरसात हुई।
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

Language: Hindi
423 Views
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