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29 Jul 2016 · 1 min read

….. .. पद ……

भगवन!क्यों नहिं दर्शन पाऊँ ।
योग मंत्र श्रुति ग्रन्थ न जानू , कैसे तुमको ध्याऊँ ?
मृदु-पद उन्मुख सतत् हृदय में , मूरति मञ्जु सजाऊँ ।
सजल नयन अवरुद्ध कण्ठ से , कैसे मैं गुण गाऊँ ?
असुर कुपित पतितों को तारा , कैसे यह बिसराऊँ ?
राम रटूँ शिव श्याम मान सम , मुरली मधुर बजाऊँ ।
अगणित जीवन वार चुका , अब, हठ कर प्राण गवाऊँ ।

Language: Hindi
545 Views
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