Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Mar 2017 · 1 min read

“नेता हमारे “(व्यंग्य कविता)

“नेता हमारे”(व्यंग्य कविता)
ईद के चाँद होते हैं
झूठ की दुकान होते हैं
एक बारी आकर के
पाँच वर्षीय मेहमान होते हैं
ओढ़े ईमान की चादर
सारे ही बेइमान होते हैं।

योग्यता की बात न पूछो
मानदंड गुण्डागर्दी हैं
जेहनी तौर पर दागदार हैं
पर, पहनते सफेद वर्दी हैं
लगते बाहर से भगवान
पर अंदर से शैतान होते हैं।

झूठें वादों में महारती
बातें करते हैं मोहब्बती
मीठा बोलना खूबी इनकी
सदा करते हैं चापलूसी
लगते बाहर से पाक साफ
पर अंदर से गुनहगार होते हैं।

घोटालों की बात न पूछो
घपलों के सरदार होते हैं
हर कार्य हर ठेके पर
कमीशन के हकदार होते हैं
दबा न पाये कोई इनको
सब के सब रसूखदार होते हैं।

नेताओं की गलती नहीं है
चुनकर इन्हें हम लाते हैं
चंद रूपयों की खातिर
चुनाव में हम बिक जाते हैं
योग्य आदमी को छोड़कर
गधहों को जितवाते हैं
इसलिए सारे घोड़े सो जाते हैं
और गधे सरकार चलाते हैं।

रामप्रसाद लिल्हारे
“मीना “

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 9277 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
विश्व पर्यटन दिवस
विश्व पर्यटन दिवस
Neeraj Agarwal
ये जो तेरे बिना भी, तुझसे इश्क़ करने की आदत है।
ये जो तेरे बिना भी, तुझसे इश्क़ करने की आदत है।
Manisha Manjari
"परोपकार के काज"
Dr. Kishan tandon kranti
मैं खाना खाकर तुमसे चैट करूँगा ।
मैं खाना खाकर तुमसे चैट करूँगा ।
Dr. Man Mohan Krishna
आंखों देखा सच
आंखों देखा सच
Shekhar Chandra Mitra
मिल जाते हैं राहों में वे अकसर ही आजकल।
मिल जाते हैं राहों में वे अकसर ही आजकल।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
भरे हृदय में पीर
भरे हृदय में पीर
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
*जिनसे दूर नहान, सभी का है अभिनंदन (हास्य कुंडलिया)*
*जिनसे दूर नहान, सभी का है अभिनंदन (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*वो नीला सितारा* ( 14 of 25 )
*वो नीला सितारा* ( 14 of 25 )
Kshma Urmila
गुनगुनाने यहां लगा, फिर से एक फकीर।
गुनगुनाने यहां लगा, फिर से एक फकीर।
Suryakant Dwivedi
3240.*पूर्णिका*
3240.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जब इंस्पेक्टर ने प्रेमचंद से कहा- तुम बड़े मग़रूर हो..
जब इंस्पेक्टर ने प्रेमचंद से कहा- तुम बड़े मग़रूर हो..
Shubham Pandey (S P)
चेतावनी हिमालय की
चेतावनी हिमालय की
Dr.Pratibha Prakash
कैसे पाएं पार
कैसे पाएं पार
surenderpal vaidya
कुछ भी नहीं हमको फायदा, तुमको अगर हम पा भी ले
कुछ भी नहीं हमको फायदा, तुमको अगर हम पा भी ले
gurudeenverma198
बारिश का मौसम
बारिश का मौसम
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
अंसार एटवी
*अपवित्रता का दाग (मुक्तक)*
*अपवित्रता का दाग (मुक्तक)*
Rambali Mishra
आविष्कार एक स्वर्णिम अवसर की तलाश है।
आविष्कार एक स्वर्णिम अवसर की तलाश है।
Rj Anand Prajapati
मानव जीवन में जरूरी नहीं
मानव जीवन में जरूरी नहीं
Dr.Rashmi Mishra
इल्ज़ाम ना दे रहे हैं।
इल्ज़ाम ना दे रहे हैं।
Taj Mohammad
*प्रिया किस तर्क से*
*प्रिया किस तर्क से*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*****नियति*****
*****नियति*****
Kavita Chouhan
दिन सुहाने थे बचपन के पीछे छोड़ आए
दिन सुहाने थे बचपन के पीछे छोड़ आए
Er. Sanjay Shrivastava
व्यंग्य कविता-
व्यंग्य कविता- "गणतंत्र समारोह।" आनंद शर्मा
Anand Sharma
अभिव्यक्ति की सामरिकता - भाग 05 Desert Fellow Rakesh Yadav
अभिव्यक्ति की सामरिकता - भाग 05 Desert Fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
मंगल दीप जलाओ रे
मंगल दीप जलाओ रे
नेताम आर सी
होठों को रख कर मौन
होठों को रख कर मौन
हिमांशु Kulshrestha
दिल ये तो जानता हैं गुनाहगार कौन हैं,
दिल ये तो जानता हैं गुनाहगार कौन हैं,
Vishal babu (vishu)
Loading...